इटली में हिंसा: फ्रांस ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे दी।
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र (UN) की मिडिल ईस्ट पीस प्रोसेस की बैठक के दौरान इसका ऐलान किया।
फ्रांस का यह कदम दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि यह यूरोप के सबसे प्रभावशाली देशों में से एक है।
फ्रांस से पहले ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल भी फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।
पिछले 36 घंटों में इन देशों के फैसलों ने फिलिस्तीन के पक्ष में एक नई लहर पैदा कर दी है।
हालांकि इजरायल और अमेरिका अब भी फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता नहीं देते।
इटली ने भी इस मुद्दे पर फ्रांस और ब्रिटेन का साथ नहीं दिया, जिसके बाद वहां पर भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
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इटली में हिंसा: इटली में क्यों भड़के प्रदर्शन?
फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों के रुख के बाद जब इटली ने फिलिस्तीन को मान्यता देने से इनकार किया, तो वहां के लोग सड़कों पर उतर आए।
मिलान और रोम शहर में सैकड़ों प्रदर्शनकारी गाजा के समर्थन में नारे लगाते हुए सड़कों पर जमा हो गए।
मिलान के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर हालात सबसे ज्यादा बिगड़े। काले कपड़े पहनकर पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर स्मोक बम, बोतलें और पत्थर फेंके।
स्टेशन में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस ने लाठियां चलाईं और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया।
इन झड़पों में 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए और 10 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया।
रोम और नेपल्स शहर में भी लोगों ने सड़कों पर जाम लगाया और पोर्ट के रास्तों को रोकने की कोशिश की। नतीजतन इटली में कई ट्रेनों और बंदरगाहों की सेवाएं रोकनी पड़ीं।
जॉर्जिया मेलोनी का बयान
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी पर फिलिस्तीन समर्थक संगठनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर झुकने वाली नहीं है। मेलोनी ने कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देना इटली की नीति का हिस्सा नहीं है।
हालांकि लगातार बढ़ते प्रदर्शनों से उनकी सरकार पर संकट गहराता जा रहा है।
कितने देशों ने दी है फिलिस्तीन को मान्यता?
फिलिस्तीन को अब तक भारत के साथ-साथ फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और सऊदी अरब समेत 152 देशों ने स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दे दिया है।
यह संयुक्त राष्ट्र के लगभग 78 प्रतिशत सदस्य देश हैं। भारत ने तो 1988 में ही फिलिस्तीन को मान्यता दे दी थी।
इसके बावजूद अमेरिका, इजरायल, इटली, जापान और कुछ अन्य देश अब भी फिलिस्तीन को मान्यता देने से पीछे हट रहे हैं।
यही वजह है कि दुनिया दो खेमों में बंटी हुई दिखाई देती है एक तरफ फिलिस्तीन समर्थक देश और दूसरी तरफ इजरायल के सहयोगी।
क्यों अहम है फ्रांस का फैसला?
फ्रांस का यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि यह यूरोपियन यूनियन का बड़ा और प्रभावशाली देश है।
इसके रुख का असर बाकी यूरोपीय देशों पर भी पड़ सकता है। फ्रांस के फैसले के बाद माना जा रहा है कि यूरोप के कई अन्य देश भी आने वाले दिनों में फिलिस्तीन को मान्यता दे सकते हैं।
गाजा में चल रहे संघर्ष के बीच जब हजारों लोग हिंसा का शिकार हो रहे हैं,
ऐसे समय में फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों का यह फैसला फिलिस्तीन की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मजबूत करता है।
यह कदम भविष्य में इजरायल-फिलिस्तीन शांति वार्ता के लिए भी नया रास्ता खोल सकता है।

