Thursday, September 19, 2024

PM Modi Version 3.0: मोदी 3.0 का असली इम्तिहान तो अब शुरू होगा, जिसे समझ रहे थे बोझ, उसी को लादकर चलना बना मजबूरी

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PM Modi Version 3.0: 2014 से लेकर अब तक मोदी सरकार “आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा” देने से इंकार करती आयी है लेकिन अब क्या ? अब तो चंद्रबाबू NDA में शामिल हो गए हैं और उनकी हर बात मानना अब मोदी के लिए मजबूरी है।

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आंध्र प्रदेश पिछले 10 सालों से एक मांग कर रहा है कि प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देनी की लेकिन केंद्र सरकार इसे नजरअंदाज करती आ रही है। सरकार इस मांग को हमेशा से ही बोहज करार कर रही यही और रिजेक्ट कर रही थी लेकिन अब जब चंद्रबाबू NDA का हिस्सा बन गए हैं तो उन्हें हो सकता है इस मांग को पूरी करना पड़े। सरकार बनाने और चलाने के लिए झुकना भी पड़ेगा और अपना स्टैंड से हटना भी पड़ेगा। TDP यानी तेलुगु देशम पार्टी के चीफ चंद्र बाबू नायडू इस बार राजनीती में एक मुख्य बिंदु बन गए हैं। अब उनके पास अपनी ये मांग मनवाने का मौका है। सरकार वित्त आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए बार इसे बोहज बताकर टालती रही लेकिन अब ये मुसीबत अब खुद उनके साथ आ चुकी हैं। बता दें की इसी मांड का पूरा ना होने के कारण चंद्र बाबू नायडू मोदी सरकार (NDA) से छिटके थे।

PM Modi Version 3.0: अब तो ये मुसीबत खुद मोदी के साथ बनाएगी सरकार

समय का पहिया ऐसा घुमा की आज स्थितियां ऐसी बन गयी हैं की चंद्र बाबू नायडू चाहे तो अपनी हर बात पूरी करवा सकते हैं। तो अब बड़ा सवाल ये है कि क्या वो अपनी मांग पूरी करवा लेंगे, और अगर वो ऐसा करवाएंगे तो कैसे क्यूंकि केंद्र सरकार किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देना का प्रावधान ही खत्म कर चुकी है। आने वाले ये पांच साल काफी रोचक रहने वाले हैं। यदि सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देती है तो उसे अपने ही बनाये प्रावधानों को बदलना होगा।

किसी राज्य को कब दिया जाता है “विशेष दर्जा “

भारत के संविधान में किसी भी राज्य को विशेष दर्जा देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। 1969 में भारत के पांचवे वित्त आयोग ने कुछ राज्यों को विकास में सहयोग करने और उन्हें प्रगति के पथ पर तेजी से चलाने के लिए एससीएस यानी “विशेष राज्य का दर्जा” देने की सिफारिश की जिन्हें माना भी गया और गाडगिल फार्मूला के आधार पर कुछ राज्यों को “विशेष दर्जा ” मिला। किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने से पहले कई फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता था, जैसे कि पहाड़ी इलाका, कम जनसंख्या या जनजातीय जनसंख्या का बड़ा हिस्सा, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर स्थिति, आर्थिक स्थिति आदि।

14वें वित्त आयोग ने की थी एससीएस खत्म करने के मांग

कई सालों तक केंद्रीय सरकार कुछ राज्यों को विशेष दर्जा देती रहीं लेकिन बाद में सरकार ने इसे खत्म कर दिया।14वें वित्त आयोग (Finance Commission) की सिफारिश पर इस सिस्टम को प्रावधान से हटा दिया गया। राज्यों के बीच अंतर को कम करने के लिए टैक्स डिवोल्यूशन को 32 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया गया। आसान शब्दों में समझें तो जरूरतमंद राज्यों को टैक्स का 32 की 42 प्रतिशत हिस्सा दिया जाएगा। इसके अलावा केंद्र सरकार स्पेशल स्टेटस वाले राज्यों को केंद्र-प्रायोजित योजना में आवश्यक धनराशि का 90 प्रतिशत का भुगतान करती है, वही अन्य राज्यों के मामले में यह 60% या 75% है।

आंध्र प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों की स्पेशल स्टेटस की मांग

बिहार भी औद्योगिक विकास की कमी और काम निवेश विकल्पों की वजह से आर्थिक तरह से कमजोर राज्य रहा है। इस ही के चलते बिहार में भी सरकार स्पेशल स्टेटस की मांग करती है वहीँ आंध्रा प्रदेश भी 10 सालों से स्पेशल स्टेटस की मान कर रहा है। पहले तो सरकार इनकी बार नहीं सुनती थी लेकिन चंद्र बाबू नायडू भी अब इस सत्ता में एहम कड़ी बन चुकी है। ये देखने वाली रोचक बात होगी की अब इन्हें स्पेशल स्टेटस दिया जायेगा या नहीं।

क्यों चाहिए आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेटस?

दरअसल 2014 में यूपीए सरकार के वक्त जब आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ तो तेलंगाना को एक अलग राज्य बना दिया गया। उस समय केंद्र सरकार ने अधरा प्रदेश से वायदा किया की वो उसे स्पेशल स्टेटस जरूर देगी ताकि उसे जो रेवेन्यू में नुक्सान हुआ और राज्य के सबसे विकसित शहर हैदराबाद का छिनने की भी भरपाई हो सके।

अब हुआ ये की 2014 में हुए चुनावों में यूपीए के विदाई हो गयी और आयी मोदी सरकार यानि भाजपा। उस समय चंद्र बाबू नायडू भी सत्ता में आये और वह 2014 से लेकर 2019 तक मुख्यमंत्री रहे। 2019 में वाईएस जगन मोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और वे 2024 तक इस पद पर रहे। नायडू और रेड्डी, दोनों ही मुख्यमंत्री केंद्र से स्पेशल स्टेट का दर्जा पाने की अपील करते रहे ताकि राज्य को ज्यादा फंड मिल सकें, मगर ऐसा हो नहीं पाया।

PM Modi Version 3.0: मोदी 3.0 का असली इम्तिहान तो अब है

इस बार के चुनावी परिणाम बहुत ही चौंकाने वाले रहे। बीजेपी बहुमत पाने में नाकाम  रही जिसके चलते उन्हें सरकार बनाने के लिए चंद्र बाबू नायडू की TDP का सहारा लेना पड़ा।मुमकिन है कि वो आंध्र प्रदेश के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा (एससीएस) मांग करे। कांग्रेस ये पहले ही कह चुकी है कि अगर वह सत्ता में आयी तो राज्य को एससीएस देने को तैयार है। हालांकि, केवल एपी को एससीएस देना, और बिहार और ओडिशा जैसे अन्य राज्यों को छोड़ देना, बीजेपी के लिए और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा। अब देखने वाली बात होगी की मोदी सररककर इस चुनौती से निपटने के लिए क्या करती है।

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