पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: वीर बाल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन केवल एक औपचारिक भाषण नहीं था, बल्कि यह आने वाले भारत की वैचारिक दिशा का स्पष्ट संकेत भी था।
साहिबजादों की वीरता को नमन करते हुए पीएम मोदी ने इतिहास, वर्तमान और भविष्य को एक सूत्र में पिरोया।
उनके शब्दों में जहां गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का आह्वान था, वहीं Gen-Z यानी आज की युवा पीढ़ी की प्रतिभा और क्षमता पर अटूट विश्वास भी साफ झलक रहा था।
वीर बाल दिवस, इतिहास से प्रेरणा का संदेश
पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को याद करते हुए की।
उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस केवल अतीत को स्मरण करने का दिन नहीं, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य को दिशा देने का अवसर है।
साहिबजादों का बलिदान हमें यह सिखाता है कि उम्र कभी साहस और सिद्धांतों के रास्ते में बाधा नहीं बनती।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत की संस्कृति में बच्चों को केवल उम्र से नहीं, बल्कि उनके विचारों और मूल्यों से पहचाना जाता है। यही सोच भारत को सदियों से मजबूत बनाती आई है।
गुलामी की सोच से मुक्ति का आह्वान
पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: प्रधानमंत्री के भाषण का एक प्रमुख केंद्रबिंदु “गुलामी की सोच” से आज़ादी था।
उन्होंने कहा कि भले ही भारत राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो चुका है, लेकिन मानसिक गुलामी अब भी कई रूपों में मौजूद है। यह सोच हमारी भाषा, हमारे आत्मविश्वास और हमारे निर्णयों को प्रभावित करती है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक देश का नागरिक अपनी क्षमता पर खुद भरोसा नहीं करेगा, तब तक वास्तविक आज़ादी अधूरी रहेगी। भारत को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हम अपनी परंपराओं, ज्ञान और नवाचार को गर्व के साथ अपनाएं।
Gen-Z पर भरोसा, नए भारत की असली ताकत
पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: पीएम मोदी ने Gen-Z को नए भारत की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि आज का युवा केवल नौकरी खोजने वाला नहीं, बल्कि समाधान खोजने वाला बन चुका है।
स्टार्टअप संस्कृति, टेक्नोलॉजी, खेल, विज्ञान और कला हर क्षेत्र में युवा भारत अपनी छाप छोड़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का काम युवा पीढ़ी को दिशा देना और अवसर उपलब्ध कराना है, जबकि देश को ऊंचाइयों तक ले जाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर है।
उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे असफलता से डरें नहीं, बल्कि उसे सीखने की सीढ़ी बनाएं।
शिक्षा और संस्कार का संतुलन
पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: अपने संबोधन में पीएम मोदी ने शिक्षा के साथ संस्कारों के महत्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि केवल डिग्री हासिल करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण उतना ही जरूरी है। वीर बाल दिवस इसी संतुलन की याद दिलाता है जहां ज्ञान, साहस और नैतिकता एक साथ चलते हैं।
उन्होंने अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की कि वे बच्चों को सिर्फ प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए भी तैयार करें।
इस अवसर पर देश के 18 राज्यों के 20 बच्चों को राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा गया। प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों के साहस, सेवा और नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य नई पीढ़ी के संकल्प और संस्कारों से तय होगा। ये सम्मान देश के उज्ज्वल, आत्मनिर्भर और साहसी भविष्य की झलक हैं।
गुलामी की मानसिकता पर किया प्रहार
पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है। आने वाले वर्षों में जो फैसले और प्रयास होंगे, वे आने वाली पीढ़ियों की दिशा तय करेंगे।
प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता पर प्रहार करते हुए कहा कि साहिबजादों की गाथा देश के हर नागरिक की जुबान पर होनी चाहिए थी लेकिन दुर्भाग्यवश आज़ादी के बाद भी देश इस मानसिकता से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सका।
उन्होंने कहा कि 1835 में मैकाले द्वारा बोए गए गुलामी के विचारों के बीजों ने भारत की अनेक सच्चाइयों को दबा दिया। अब देश ने तय कर लिया है कि इस मानसिकता से मुक्ति पानी ही होगी।
उन्होंने कहा कि 2035 तक, जब मैकाले की इस सोच को 200 साल पूरे होंगे, तब तक हमें पूरी तरह गुलामी की मानसिकता से मुक्त होना है, यह 140 करोड़ भारतीयों का साझा संकल्प होना चाहिए।
वीर बाल दिवस का व्यापक संदेश
पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: वीर बाल दिवस का संदेश केवल इतिहास तक सीमित नहीं है। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने बच्चों और युवाओं को किस तरह का भारत सौंपना चाहते हैं।
पीएम मोदी के संबोधन में यही भावना बार-बार उभरकर सामने आई। एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भर हो, आत्मविश्वासी हो और अपनी जड़ों से जुड़ा हो।
आत्मविश्वास से भरा भविष्य
पीएम मोदी का वीर बाल दिवस पर गुरुमंत्र: प्रधानमंत्री मोदी का वीर बाल दिवस पर दिया गया भाषण खासतौर पर युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरक संदेश था।
गुलामी की सोच से आज़ादी, अपनी संस्कृति पर गर्व और Gen-Z के हुनर पर भरोसा ये तीन स्तंभ नए भारत की नींव बनते दिखाई देते हैं।
यदि युवा इस संदेश को आत्मसात कर लें, तो आने वाला भारत न केवल आर्थिक और तकनीकी रूप से मजबूत होगा, बल्कि वैचारिक रूप से भी आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्व के लिए तैयार होगा। वीर बाल दिवस इसी आत्मविश्वास भरे भविष्य की ओर एक मजबूत कदम है।

