पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16–17 दिसंबर को इथियोपिया की राजकीय यात्रा पर हैं।
अदीस अबाबा में उनकी मुलाकात इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली से होगी।
अबी अहमद का जीवन सफर साधारण नहीं रहा।
सेना, खुफिया तंत्र और फिर राजनीति के शिखर तक पहुंचते हुए उन्होंने न केवल सत्ता संभाली, बल्कि शांति के लिए नोबेल पुरस्कार भी हासिल किया।
सैनिक जीवन से नेतृत्व की नींव
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: अबी अहमद अली ने अपने करियर की शुरुआत इथियोपियाई राष्ट्रीय रक्षा बल (ENDF) में एक सैनिक के रूप में की।
उन्होंने 1998–2000 के इथियोपिया–इरिट्रिया युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई।
अनुशासन, रणनीति और नेतृत्व क्षमता के दम पर वे तेजी से आगे बढ़े और लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक पहुंचे।
यह अनुभव आगे चलकर उनकी राजनीतिक सोच और निर्णयों की आधारशिला बना।
शिक्षा और तकनीकी समझ
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: सैन्य सेवा के साथ-साथ अबी अहमद ने उच्च शिक्षा पर भी खास ध्यान दिया। उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान, नेतृत्व और अर्थशास्त्र जैसे विषयों में डिग्रियां हासिल कीं।
अदीस अबाबा विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों से पढ़ाई करने वाले अबी अहमद की तकनीकी समझ ने उन्हें सुरक्षा और साइबर क्षेत्रों में अहम जिम्मेदारियां दिलाईं।
खुफिया तंत्र में ताकतवर भूमिका
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: अबी अहमद का करियर केवल सेना तक सीमित नहीं रहा। वे इथियोपियाई नेशनल इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सर्विस (NISS) में उप-निदेशक और बाद में निदेशक रहे।
इसके अलावा, उन्हें सूचना नेटवर्क सुरक्षा एजेंसी (INSA) का प्रमुख भी बनाया गया, जहां उन्होंने देश की साइबर सुरक्षा की कमान संभाली।
इस दौर में वे सीधे तत्कालीन प्रधानमंत्री मेलेस जेनावी के अधीन काम करते थे।
सेना से राजनीति में एंट्री
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: 2010 के आसपास अबी अहमद ने सैन्य सेवा छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
वे इथियोपियन पीपल्स रेवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (EPRDF) के घटक दल ओरोमो पीपल्स डेमोक्रेटिक ऑर्गनाइजेशन (OPDO) से जुड़े।
ओरोमो समुदाय से आने और मजबूत सुरक्षा पृष्ठभूमि के कारण वे तेजी से पार्टी के भीतर उभरे।
राजनीतिक संकट में मिला मौका
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: 2015–2016 के दौरान ओरोमिया और अम्हारा क्षेत्रों में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज हो गए।
इसी दौर में अबी अहमद को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बनाया गया।
यहां से उन्होंने खुद को एक सुधारक नेता के रूप में पेश किया। फरवरी 2018 में वे OPDO के अध्यक्ष चुने गए और अप्रैल 2018 में इथियोपिया के प्रधानमंत्री बने।
सुधारक नेता की पहचान
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: सत्ता संभालते ही अबी अहमद ने कई बड़े फैसले लिए। राजनीतिक कैदियों की रिहाई, प्रेस स्वतंत्रता पर लगी पाबंदियों को हटाना और विपक्षी दलों के लिए राजनीतिक माहौल खोलना उनके शुरुआती कदम रहे।
लेकिन सबसे अहम फैसला इरिट्रिया के साथ 20 साल पुराने विवाद को खत्म करना था, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई।
नोबेल शांति पुरस्कार और चुनौतियां
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा: इरिट्रिया के साथ शांति समझौते के लिए अबी अहमद को 2019 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उन्होंने ‘मेडेमर’ यानी सामंजस्य की राजनीति का नारा दिया। हालांकि, बाद के वर्षों में टिगरे संघर्ष और मानवाधिकार मुद्दों को लेकर उनकी आलोचना भी हुई।
इसके बावजूद वे आज भी इथियोपिया की राजनीति में एक प्रभावशाली और लोकप्रिय नेता बने हुए हैं।
पीएम मोदी की यात्रा का महत्व
पीएम मोदी की इथियोपिया यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अफ्रीका भारत की विदेश नीति में अहम स्थान रखता है।
अबी अहमद जैसे नेता के साथ मुलाकात दोनों देशों के राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है।

