11 साल में चौथी बार भूटान रवाना हुए PM मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दो दिन के भूटान दौरे पर रवाना हुए हैं।
यह पिछले 11 सालों में उनकी चौथी भूटान यात्रा है। रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने अपने X (ट्विटर) अकाउंट पर लिखा कि यह यात्रा “दोस्ती और साझेदारी को नई ऊर्जा देगी।”
इस दौरे का मकसद है दोनों देशों के ऐतिहासिक और रणनीतिक रिश्तों को और सशक्त बनाना। खासकर ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और क्षेत्रीय स्थिरता के संदर्भ में।
राजा और प्रधानमंत्री से मुलाकात, ऊर्जा परियोजना पर फोकस
11 साल में चौथी बार भूटान रवाना हुए PM मोदी: भूटान पहुंचने के बाद पीएम मोदी की मुलाकात भूटान के राजा, चौथे राजा और प्रधानमंत्री त्शेरिंग तोबगे से होगी।
दोनों देशों के बीच इस दौरान द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, कनेक्टिविटी और सीमा सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।
इस यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण “पुनात्संगछू-2 जलविद्युत परियोजना (Punatsangchhu-II Hydropower Project)” का उद्घाटन है।
यह परियोजना भारत-भूटान की ऊर्जा साझेदारी को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाली मानी जा रही है।
भूटान अपनी लगभग 75% बिजली हाइड्रोपावर से उत्पन्न करता है, जिसमें से अधिकांश भारत को निर्यात की जाती है, जिससे भूटान की 80% विदेशी आमदनी होती है।
भूटान के चौथे राजा का 70वां जन्मदिन, रिश्तों में भावनात्मक जुड़ाव
11 साल में चौथी बार भूटान रवाना हुए PM मोदी: यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भूटान अपने चौथे राजा का 70वां जन्मदिन मना रहा है।
यह न केवल एक औपचारिक दौरा है बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव का भी प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि भारत-भूटान के संबंध “भरोसे, समझ और सद्भाव” पर आधारित हैं। यह भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति का बेहतरीन उदाहरण है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते, बौद्ध धर्म से बंधा आध्यात्मिक संबंध
11 साल में चौथी बार भूटान रवाना हुए PM मोदी: भारत और भूटान के बीच केवल राजनीतिक या आर्थिक रिश्ता नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक बंधन भी है। दोनों देशों को जोड़ने वाला प्रमुख तत्व है बौद्ध धर्म।
भारत से भगवान बुद्ध के अवशेष (पिपरहवा रिलिक्स) भूटान भेजे गए हैं, जिन्हें वहां अत्यंत श्रद्धा से रखा गया है।
भूटान के लोग भारतीय फिल्में, टीवी शो, व्यंजन और कपड़े बेहद पसंद करते हैं।
भारत और भूटान के नागरिक बिना पासपोर्ट या वीजा के एक-दूसरे के देश में यात्रा कर सकते हैं, जो इन दोनों देशों की गहरी मित्रता का प्रमाण है।
ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल में पीएम मोदी की उपस्थिति
11 साल में चौथी बार भूटान रवाना हुए PM मोदी: भूटान में चल रहे “ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल” में भी प्रधानमंत्री मोदी हिस्सा लेंगे। यह विश्व शांति और मानवता की भलाई के लिए आयोजित एक आध्यात्मिक कार्यक्रम है।
भूटान सरकार ने इसे अब तक का सबसे बड़ा आयोजन बताया है, और भारतीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी को विशेष सम्मान और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक माना जा रहा है।
भारत के लिए क्यों अहम है भूटान
11 साल में चौथी बार भूटान रवाना हुए PM मोदी: भूटान भले ही एक छोटा हिमालयी राष्ट्र है, लेकिन भारत के लिए इसकी रणनीतिक और भौगोलिक अहमियत बहुत बड़ी है।
चीन और भारत के बीच बसा भूटान, दोनों देशों के बीच एक सुरक्षात्मक बफर ज़ोन की तरह काम करता है।
साल 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान जब चीन ने भूटान क्षेत्र में सड़क निर्माण की कोशिश की थी, तब भारतीय सेना ने हस्तक्षेप कर उसे रोका था, जिसने यह स्पष्ट कर दिया कि भूटान भारत की सुरक्षा नीति का अभिन्न हिस्सा है।
इसके अलावा, भूटान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन में भी हमेशा खड़ा रहा है।

