पेंशन प्लान 2025: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को अपने कर्मचारियों को राहत देते हुए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में दो नए निवेश विकल्पों की घोषणा कर दी है।
लंबे समय से केंद्रीय कर्मचारी इन बदलावों की मांग कर रहे थे और अब वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया गया है।
सरकार का दावा है कि इस कदम से कर्मचारियों को अपने रिटायरमेंट फंड पर अधिक नियंत्रण मिलेगा और उनकी वित्तीय सुरक्षा पहले से कहीं अधिक मजबूत होगी।
पेंशन प्लान 2025: सरकार का बदलाव क्यों जरूरी
अब तक सरकारी कर्मचारियों के पास निवेश विकल्प सीमित थे, जबकि प्राइवेट सेक्टर के सदस्य एनपीएस में ज्यादा लचीलापन पा रहे थे।
सरकार की नई घोषणा के बाद अब केंद्र के कर्मचारी भी ठीक उसी तरह अपने निवेश मॉडल चुन सकेंगे।
विशेषज्ञों के अनुसार यह फैसला सरकारी क्षेत्र में भी निवेश की स्वतंत्रता, पारदर्शिता और बेहतर रिटायरमेंट प्लानिंग की दिशा में बड़ा कदम है।
क्या है नई पेंशन व्यवस्था
वित्त मंत्रालय ने NPS और UPS में दो नए विकल्प लाइफ़ साइकल स्कीम और बैलेंस्ड लाइफ़ साइकल स्कीम को लागू किया है।
इन विकल्पों का मकसद कर्मचारियों को उनकी आयु, जोखिम क्षमता और भविष्य की ज़रूरतों के अनुसार निवेश संरचना चुनने की सुविधा देना है।
मंत्रालय का कहना है कि इन विकल्पों के बाद कर्मचारी अपनी परिस्थितियों के मुताबिक रिटायरमेंट फंड को स्मार्ट तरीके से विभाजित कर सकेंगे,
जिससे रिटायरमेंट के समय बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
कैसे मिलेगा निवेश
सरकार द्वारा पेश की गई लाइफ़ साइकल स्कीम में इक्विटी निवेश की सीमा अधिकतम 25 प्रतिशत रहेगी, जो उम्र 35 से 55 वर्ष के बीच धीरे-धीरे कम होती जाएगी।
इसका उद्देश्य यह है कि करियर के शुरुआती और मध्य चरण में अधिक रिटर्न मिल सके, जबकि रिटायरमेंट के नज़दीक आते-आते जोखिम स्वतः कम हो जाए।
दूसरी ओर, बैलेंस्ड लाइफ़ साइकल विकल्प में इक्विटी में निवेश 45 वर्ष की उम्र के बाद घटने लगता है, ताकि एक स्थिर और संतुलित बढ़त सुनिश्चित की जा सके।
कर्मचारियों को यह भी स्वतंत्रता दी गई है कि यदि वे अपनी जोखिम क्षमता के आधार पर इक्विटी निवेश लंबे समय तक बनाए रखना चाहते हैं, तो वे ऐसा कर सकेंगे।
इससे यह साफ है कि नई पेंशन संरचना “वन साइज फिट्स ऑल” वाली नीति से आगे बढ़कर व्यक्तिगत वित्तीय स्वतंत्रता पर जोर देती है।
कर्मचारियों में खुशी और सरकार की मंशा
केंद्रीय कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह बदलाव काफी समय बाद मिला सकारात्मक कदम है, जिससे रिटायरमेंट प्लानिंग आसान और लचीली बनेगी।
वहीं सरकार का मानना है कि यह सुधार देश की पेंशन प्रणाली को आधुनिक, प्रतिस्पर्धी और अधिक लाभकारी बनाएगा।

