Pakistan: भारत द्वारा हाल ही में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट खुलकर सामने आ गई है।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर पुराना राग अलापते हुए कश्मीर मुद्दे को हवा देने की कोशिश की है।
Pakistan: उन्होंने कश्मीर शहीदी दिवस (13 जुलाई) के मौके पर वही घिसा-पिटा बयान दोहराया। उन्होनें कहा कि पाकिस्तान कश्मीरी जनता को राजनीतिक, कूटनीतिक और नैतिक समर्थन देता रहेगा।” लेकिन सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान अब भी दुनिया को बेवकूफ बना सकता है?
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Pakistan: 1931 की घटना की आड़ में सियासी एजेंडा
Pakistan: शहबाज शरीफ ने 1931 में मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने का ढोंग करते हुए इसे कश्मीर के आजादी संघर्ष की नींव बताया।
लेकिन जानकारों की मानें तो यह श्रद्धांजलि कम, और भारत विरोधी सियासी एजेंडा ज़्यादा थी।
पाकिस्तान हमेशा से ही कश्मीर को लेकर इतिहास का इस्तेमाल दुष्प्रचार के हथियार के रूप में करता रहा है।
UN प्रस्तावों की दुहाई, लेकिन खुद के गुनाहों पर चुप्पी
शहबाज शरीफ ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र (UN) के पुराने प्रस्तावों की दुहाई दी, लेकिन यह नहीं बताया कि पाकिस्तान खुद इन प्रस्तावों को मानता कितना है।
गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके में हो रहे मानवाधिकार हनन पर वो मौन क्यों हैं? क्या पाकिस्तान को सिर्फ वही कश्मीर दिखता है जो भारत के पास है?
वैश्विक मंच से मानवाधिकार की झूठी पुकार
Pakistan: अपने भाषण में शरीफ ने वैश्विक समुदाय से अपील करते हुए कहा कि दुनिया को कश्मीर में हो रहे “मानवाधिकार हनन” पर ध्यान देना चाहिए।
लेकिन यह अपील एक दिखावटी चिंता से ज्यादा कुछ नहीं लगती, क्योंकि पाकिस्तान खुद बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में संस्थागत अत्याचार करता आ रहा है।
भारत को बदनाम करने की नई साजिश
Pakistan: विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान अब फिर से ‘कश्मीर कार्ड’ खेलकर भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बदनाम करना चाहता है।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने पाकिस्तान की पोल खोल दी है, और अब शहबाज शरीफ अपनी नाकामी छुपाने के लिए कश्मीर को मोहरा बना रहे हैं।