पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। इसी कड़ी में सिंध प्रांत से एक नया मामला सामने आया है,
जहां हिंदू छात्राओं पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाले जाने का आरोप लगा है।
यह घटना सिंध के मीरपुर साकरो स्थित एक सरकारी हाई स्कूल की बताई जा रही है, जहां स्कूल की प्रिंसिपल पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
पढ़ाई जारी रखने के लिए इस्लाम अपनाने को कहा
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हिंदू छात्राओं के परिजनों ने बताया कि स्कूल की प्रिंसिपल ने लड़कियों से कहा कि अगर उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखनी है, तो उन्हें इस्लाम धर्म अपनाना होगा।
परिजनों का कहना है कि बच्चियों को कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया और जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया, तो उन्हें कथित रूप से स्कूल से घर भेज दिया गया।
छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल में उनके धर्म का मजाक उड़ाया गया और उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया गया।
परिजनों के अनुसार, इन घटनाओं के बाद लड़कियां इतनी डरी हुई हैं कि अब वे स्कूल जाने से हिचकिचा रही हैं।
हिंदू समुदाय में भारी गुस्सा
मामले के सामने आते ही मीरपुर साकरो और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले हिंदू समुदाय में भारी गुस्सा फैल गया।
स्थानीय लोगों ने इसे पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की लगातार हो रही उपेक्षा और अत्याचार का एक और उदाहरण बताया।
समुदाय के लोगों ने कहा कि स्कूल जैसी सुरक्षित जगह पर इस तरह की हरकतें होना बेहद चिंताजनक है।
घटना के बाद परिजनों ने प्रशासन से शिकायत की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
परिजन बच्चियों की मानसिक स्थिति को लेकर चिंतित हैं और कहते हैं कि वे डरी हुई हैं तथा शिक्षा जारी रखने में असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
सालों से किया जा रहा धर्म परिवर्तन
मामला बढ़ने पर पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के राज्य मंत्री खीसो मल खील दास ने संसद के ऊपरी सदन में इस मुद्दे को उठाया।
उन्होंने बताया कि प्रांतीय शिक्षा मंत्री ने पूरे मामले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
मंत्री ने यह आश्वासन भी दिया कि जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी आश्वासन के बावजूद स्थानीय लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
कई लोग मानते हैं कि पाकिस्तान में वर्षों से हिंदू, सिख और अन्य अल्पसंख्यकों को धार्मिक आधार पर निशाना बनाया जाता रहा है, और यह घटना उन हालातों की एक और मिसाल है।
यह पूरा मामला एक बार फिर पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदू लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
स्कूलों में धर्म परिवर्तन के लिए दबाव या धार्मिक भेदभाव का आरोप नई बात नहीं है, लेकिन सरकारी संस्थानों में इस तरह की घटनाएं होना स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा देता है।

