Pakistan: पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मिली करारी शिकस्त आज भी उसके नेताओं के गले की हड्डी बनी हुई है। हार को मानने के बजाय वहां की सत्ता पूरी ताकत से झूठ और प्रोपेगेंडा फैलाने में जुटी है।
पहले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बयान दिया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष के लिए पूरी तरह भारत जिम्मेदार है।
अब राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यही रट दोहराई, मानो सच को झुठलाने से इतिहास बदल जाएगा।
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Pakistan: भारत ने पाकिस्तान पर हमला करके गलती की
जरदारी ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान पर हमला करके गलती की, लेकिन पाकिस्तान ने “साहस और संयम” से इसका जवाब दिया। उन्होंने दावा किया कि दुनिया अब यह जान चुकी है कि पाकिस्तान शांति चाहता है, लेकिन अपनी अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है।
साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान किसी भी दबाव में न कभी झुका है और न झुकेगा। यह बयान सुनकर साफ लगता है कि पाकिस्तान का नेतृत्व जमीनी हकीकत से पूरी तरह दूर है और अपने देश की जनता को गुमराह करने में ही व्यस्त है।
पाकिस्तान की झूठी तारीफ
यहीं नहीं जरदारी ने अपने भाषण में एक बार फिर पाकिस्तान की झूठी तारीफ की और दावा किया कि उनका देश हर क्षेत्र में “सफलता” हासिल कर चुका है।
उन्होंने यहां तक कहा कि भारत के साथ हुए इस संघर्ष की “जीत” ने पाकिस्तान को एकजुट कर दिया है और पूरे देश का लक्ष्य एक ही है। यह बयान उस सच्चाई से बिल्कुल उलट है, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखी थी।
100 से ज्यादा आतंकी ढेर
असलियत यह है कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने सौ से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया था। इन आतंकियों को पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा में घुसपैठ और हमलों के लिए भेजा गया था। भारतीय सेना की सटीक कार्रवाई ने न केवल इन आतंकियों को खत्म किया,
बल्कि पाकिस्तान की कई आतंकी ठिकानों को भी तबाह कर दिया। जवाब में पाक सेना ने भारतीय शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास भी बुरी तरह नाकाम रहा।
भारतीय सेना की रणनीति और ताकत
पूरे ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान की हालत ऐसी थी कि उसे “दुम” दबाकर पीछे हटना पड़ा। भारतीय सेना की रणनीति और ताकत के सामने पाक सेना टिक ही नहीं पाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की छवि और खराब हो गई, क्योंकि यह साबित हो गया कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देने और सीमा पार हिंसा में शामिल है।
इसके बावजूद, पाकिस्तान का नेतृत्व हार मानने को तैयार नहीं। शहबाज शरीफ से लेकर आसिफ अली जरदारी तक, हर कोई जनता के सामने जीत का झूठा नैरेटिव पेश कर रहा है। उनका मकसद सिर्फ इतना है कि देश के अंदर बढ़ते असंतोष और आर्थिक तबाही से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके।
कश्मीर मुद्दा भी इसी रणनीति का हिस्सा है—जरदारी ने अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान हमेशा “कूटनीतिक, नैतिक और राजनीतिक” समर्थन जारी रखेगा।