Non-Veg Side Effects: भारत में नॉन-वेज को अक्सर ताकत, स्वाद और प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है।
चिकन करी से लेकर मटन बिरयानी तक, इन व्यंजनों का स्वाद नॉन-वेज प्रेमियों को अपनी ओर खींचता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोजाना मांस खाना आपकी सेहत पर कितना भारी पड़ सकता है?
जानिए एक्सपर्ट्स की राय और इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं।
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Non-Veg Side Effects: पाचन तंत्र पर पड़ता है भारी दबाव
Non-Veg Side Effects: मांस को पचाने में शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
अगर आप रोज नॉन-वेज खाते हैं, तो पाचन तंत्र पर लगातार दबाव बनता है, जिससे गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इससे पेट का स्वास्थ्य धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है।
बढ़ सकता है कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा
Non-Veg Side Effects: लाल मांस (रेड मीट) में सैचुरेटेड फैट की मात्रा काफी अधिक होती है, जो शरीर में ‘बैड कोलेस्ट्रॉल’ को बढ़ाता है।
इससे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और अन्य हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। नियमित नॉन-वेज सेवन से दिल पर बुरा असर पड़ता है।
गुर्दों पर बढ़ता है अतिरिक्त भार
Non-Veg Side Effects: प्रोटीन का अधिक सेवन शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ाता है।
यह किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है।
इससे किडनी स्टोन, सूजन और यहां तक कि किडनी फेलियर की आशंका भी हो सकती है।
एसिडिटी और पेट की जलन
Non-Veg Side Effects: रोज मांस खाने से पेट में एसिड का स्तर बढ़ सकता है।
इसका नतीजा होता है सीने में जलन, खट्टी डकारें और गैस।
लंबे समय तक ये लक्षण पेट के अल्सर जैसी गंभीर समस्याओं में बदल सकते हैं।
कैंसर का खतरा भी संभव
Non-Veg Side Effects: कुछ रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्रोसेस्ड मीट या अधिक तला-भुना मांस, खासकर रेड मीट का लगातार सेवन आंतों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।
ओवरकुकिंग या डीप फ्राइंग से इसमें हानिकारक तत्व बन सकते हैं।
मोटापा और मेटाबॉलिक परेशानियां
नॉन-वेज में फैट और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है।
अगर हर दिन इसका सेवन किया जाए, तो यह शरीर में चर्बी जमा करता है जिससे वजन बढ़ता है।
इसके चलते थकान और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
क्या है समाधान?
नॉन-वेज पूरी तरह छोड़ना जरूरी नहीं, लेकिन संतुलन बेहद ज़रूरी है।
हफ्ते में 1-2 बार सीमित मात्रा में नॉन-वेज खाना, साथ में हरी सब्ज़ियां और फाइबर युक्त भोजन लेना आपकी सेहत को सुरक्षित रख सकता है।
सेहत और स्वाद दोनों में संतुलन बनाए रखना ही समझदारी है।