बिहार की राजनीति अपनी जटिल सामाजिक संरचना, जातीय संतुलन और चुनावी समीकरणों के लिए जानी जाती है।
लेकिन पूरे परिदृश्य में एक तत्व ऐसा है जो दल बदल जाए, गठबंधन बदल जाए, फिर भी अडिग खड़ा रहता है, राजनीतिक परिवारवाद।
नवीन नीतीश कैबिनेट की संरचना इसका एक स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ 26 मंत्रियों में से 10 मंत्री ऐसे हैं जिनकी पहचान उनके राजनीतिक घरानों से गहरे जुड़ी है।
इस परिदृश्य ने राज्य के जनतांत्रिक चरित्र और अवसरों की समानता को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े किए हैं। राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश कैबिनेट पर करारा तंज करते हुए ये ट्वीट किया है :-
नीचे बिहार के उन प्रमुख 10 मंत्रियों का विवरण है जिनका राजनीतिक उदय उनके पारिवारिक-सियासी पृष्ठभूमि से गहराई से जुड़ा है।
1. संतोष सुमन मांझी
संतोष सुमन पूर्व मुख्यमंत्री, गया से सांसद और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
वह वर्तमान विधायक ज्योति मांझी के दामाद और वर्तमान विधायक दीपा मांझी के पति भी हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा परिवार के प्रभाव से निर्मित मानी जाती है।
2. सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी और पूर्व विधायक स्वर्गीय पार्वती देवी के पुत्र हैं। वह बिहार के उपमुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
उनका राजनीतिक उदय एक स्थापित राजनीतिक परिवार की निरंतरता का उदाहरण है।
3. दीपक प्रकाश कुशवाहा
दीपक प्रकाश, पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र हैं। उनकी माता स्नेहलता कुशवाहा वर्तमान विधायक हैं।
राजनीति में उनकी उपस्थिति एक प्रभावशाली कुशवाहा नेतृत्व वाले परिवार की मजबूती दिखाती है। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
4. श्रेयसी सिंह
श्रेयसी सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की पुत्री हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
खेल-कूद में राष्ट्रीय पहचान बनाने के बाद उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश किया। उनकी राजनीतिक शुरुआत सशक्त सियासी वंश से प्रभावित है।
5. रमा निषाद
रमा निषाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जय नारायण निषाद की पुत्रवधु हैं। वह पूर्व सांसद अजय निषाद की पत्नी भी हैं।
राजनीति में उनकी भूमिका निषाद समुदाय के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक घरानों में से एक का प्रतिनिधित्व करती है।
6. विजय चौधरी
विजय चौधरी पूर्व विधायक जगदीश प्रसाद चौधरी के पुत्र हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
उनकी प्रशासनिक और राजनीतिक यात्रा परिवार के ऐतिहासिक राजनीतिक जुड़ाव से प्रभावित है।
7. अशोक चौधरी
अशोक चौधरी पूर्व मंत्री महावीर चौधरी के पुत्र हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
वह समस्तीपुर की वर्तमान सांसद शांभवी चौधरी के पिता भी हैं, जिससे यह परिवार बिहार की राजनीति में दो पीढ़ियों से सक्रिय है।
8. नितिन नबीन
नितिन नबीन पूर्व विधायक नवीन किशोर सिन्हा के पुत्र हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
उनकी राजनीतिक पहचान शुरुआत से ही पारिवारिक राजनीतिक विरासत से जुड़ी मानी जाती है।
9. सुनील कुमार
सुनील कुमार पूर्व मंत्री चन्द्रिका राम के पुत्र हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
वह पूर्व विधायक अनिल कुमार के भाई भी हैं, एक ऐसा परिवार जिसमें विभिन्न स्तरों पर राजनीतिक हिस्सेदारी रही है।
10. लेसी सिंह
लेसी सिंह, समता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष स्वर्गीय भूटन सिंह की पत्नी हैं। यह नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं।
जिले में उनकी सक्रियता और चुनावी सफलता इस राजनीतिक पृष्ठभूमि से ही उभरकर आई है।
परिवारवाद का बढ़ता प्रभाव: बिहार की राजनीति के लिए क्या संकेत?
बिहार के सामाजिक-राजनीतिक ढांचे में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन मंत्रिमंडल में इसके इस स्तर पर प्रकट होना यह दिखाता है कि राज्य में राजनीतिक अवसर अब भी बड़े पैमाने पर वंशगत संरचनाओं से संचालित होते हैं।
यह स्थिति लोकतंत्र में नए नेतृत्व, युवा प्रतिभा और गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए चुनौती पैदा करती है।
सवाल यह है कि क्या बिहार में नेतृत्व का नया मॉडल उभरेगा या सत्ता की धुरी आने वाले वर्षों में भी इन्हीं स्थापित परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी?

