SHRIMATI NIRMALA DEVI:भुसुरा, मुजफ्फरपुर की सुप्रसिद्ध सुजनी शिल्प विशेषज्ञ श्रीमती निर्मला देवी को पारंपरिक कढ़ाई कला ‘सुजनी शिल्प’ के संरक्षण और महिला सशक्तिकरण में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
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SHRIMATI NIRMALA DEVI: सुजनी शिल्प की संरक्षक: एक साधारण महिला से असाधारण पहचान तक
15 अगस्त, 1947 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जन्मीं श्रीमती निर्मला देवी ने आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं। लेकिन जीवन की चुनौतियों ने उन्हें तोड़ा नहीं—बल्कि एक दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने उस पारंपरिक कला को अपनाया, जिसे दुनिया एक दिन ‘सुजनी शिल्प’ के नाम से पहचानेगी।
ग्रामीण महिलाओं के लिए यह केवल कढ़ाई नहीं थी, बल्कि आत्मनिर्भरता की राह थी।
भुसुरा महिला विकास समिति: बदलाव की मिसाल
SHRIMATI NIRMALA DEVI: श्रीमती निर्मला देवी ने भुसुरा महिला विकास समिति की स्थापना की, जो आज महिला सशक्तिकरण का एक जीवंत उदाहरण है। इस समिति के माध्यम से उन्होंने हजारों महिलाओं को सुजनी कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया।
यह प्रशिक्षण केवल एक हस्तकला कौशल नहीं था, बल्कि उन महिलाओं के जीवन को बदलने वाला अवसर था—जिसने उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक सम्मान और आत्मगौरव प्रदान किया।
SHRIMATI NIRMALA DEVI: वैश्विक मंच पर सुजनी कढ़ाई की पहचान
निर्मला देवी के नेतृत्व और समर्पण ने सुजनी कढ़ाई को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। बिहार, मुंबई और लंदन के संग्रहालयों में उनके द्वारा कढ़े गए सुजनी कार्य प्रदर्शित किए जा चुके हैं।
उनकी कढ़ाई न केवल कलात्मक दृष्टि से उत्कृष्ट है, बल्कि हर टांका एक सामाजिक कथा, सांस्कृतिक स्मृति और महिला की सशक्त छवि का प्रतीक बन गया है।
2007: सुजनी शिल्प को मिला GI टैग – एक ऐतिहासिक उपलब्धि
श्रीमती निर्मला देवी की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक है 2007 में सुजनी कढ़ाई के लिए भौगोलिक संकेत (Geographical Indication – GI) टैग प्राप्त कराना।
यह टैग केवल कानूनी अधिकार नहीं था, बल्कि उस पारंपरिक शिल्प की सांस्कृतिक गरिमा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने वाला कदम था। इससे जुड़े कारीगरों के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित हुई।
राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय सम्मान
उनके निरंतर योगदान के लिए उन्हें 2003 में दिल्ली राजभवन में राष्ट्रीय पुरस्कार और 2007 में बिहार राज्य पुरस्कार से नवाज़ा गया। ये सम्मान उनके द्वारा वर्षों से किए गए श्रम, समर्पण और शिल्प कौशल के प्रतीक हैं।
समाज के प्रति दृष्टि और प्रतिबद्धता
निर्मला देवी का कार्य केवल हस्तकला के क्षेत्र में नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान की दिशा में एक सशक्त कदम है। उनके प्रयासों से न केवल एक लुप्तप्राय शिल्प को नया जीवन मिला, बल्कि समाज की अनगिनत महिलाएं सशक्त, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनीं।
उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि समर्पण, नेतृत्व और सामूहिक प्रयासों से परिवर्तन की नई इबारत लिखी जा सकती है।