बिहार के नेपाल सीमा से सटे जिलों में अवैध रूप से संचालित हो रहे दर्जनों मदरसों को लेकर गंभीर खुलासे सामने आए हैं। इन मदरसों के न तो कोई सरकारी पंजीकरण हैं और न ही उचित अधोसंरचना।
विदेशी फंडिंग से संचालित इन संस्थानों में बच्चों को जिहादी विचारधारा की ओर प्रेरित किया जा रहा है, जिसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मामले का संज्ञान लेते हुए जाँच शुरू कर दी है।
NHRC ने दिखाई तत्परता, सदस्य कानूनगो ने दी जानकारी
NHRC के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने इन खुलासों को गंभीर मानते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार इन मदरसों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को फर्जी भारतीय दस्तावेज दिए जा रहे हैं और बच्चों को कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित किया जा रहा है।
इसके लिए हवाला के जरिए विदेशों से पैसा भेजा जा रहा है, जिससे इनकी गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं।
हवाला से फंडिंग, ज़ाकिर नाइक के वीडियो और ब्रेनवॉश
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुजफ्फरपुर के ‘जामिया नूरिया मिराजुल उलूम’ मदरसे के एक शिक्षक ने कैमरे पर कबूल किया कि उन्हें हवाला से फंडिंग मिलती है और वे बच्चों को जिहाद की शिक्षा देते हैं।
सीतामढ़ी स्थित ‘मदरसा इस्लामिया महमूदिया’ बिना पंजीकरण के जर्जर हालत में चल रहा है, जहाँ फर्जी कागजों पर बांग्लादेशी बच्चों का दाखिला लिया जा रहा है। वहाँ ज़ाकिर नाइक के कट्टरपंथी वीडियो बच्चों को दिखाए जाते हैं।
किताबों में काफिर कहकर भरी जाती है नफरत, नेपाल सीमा तक फैला नेटवर्क
इन मदरसों में पढ़ाई के लिए जो पुस्तकें उपयोग की जा रही हैं, उनमें ‘काफिर’ शब्द के जरिए गैर-मुसलमानों के प्रति घृणा का संदेश दिया जा रहा है।
जाँच में यह भी सामने आया कि ऐसे ही इस्लामी शिक्षण संस्थानों का बड़ा नेटवर्क नेपाल की सीमा के अंदर भी मौजूद है, जो बिना किसी सरकारी निगरानी के चल रहा है और विदेशों से धन प्राप्त करता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला, NHRC ने सरकार से माँगी सख्त जाँच
प्रियंक कानूनगो ने इस पूरे मामले को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि NHRC इस पर कड़ी निगरानी रख रहा है और सरकार से भी माँग की गई है कि इन मदरसों की जाँच गंभीरता से की जाए।
उनका कहना है कि यह केवल बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है, जहाँ शिक्षा के नाम पर नफरत और आतंक का बीज बच्चों के मन में बोया जा रहा है।
शिक्षा की आड़ में चरमपंथ का प्रचार, NHRC की कार्रवाई से उम्मीद
इस रिपोर्ट के बाद NHRC की सक्रियता से यह उम्मीद जगी है कि जल्द ही ऐसे मदरसों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। NHRC की कार्रवाई को लेकर अब देश की नजरें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।
यह घटना देश को इस बात की चेतावनी देती है कि बच्चों के भविष्य और समाज की सुरक्षा के लिए धार्मिक शिक्षण संस्थानों पर पारदर्शिता और निगरानी आवश्यक है।