Thursday, November 13, 2025

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया नाम: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर जावेद सिद्दिकी पर जांच एजेंसियों की नज़र

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया नाम: दिल्ली ब्लास्ट केस में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे सुरक्षा एजेंसियों को कई चौंकाने वाले सुराग मिल रहे हैं। अब इस मामले के तार हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डायरेक्टर जावेद अहमद सिद्दिकी से जुड़ गए हैं।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

एजेंसियों के मुताबिक, सिद्दिकी का नाम अब डॉक्टर शाहीन सईद और डॉक्टर मुजम्मिल शकील के साथ इस केस के मुख्य संदिग्ध अभियुक्तों की सूची में शामिल किया गया है। फंडिंग से जुड़े पहलुओं पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) अलग से जांच कर रहा है।

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया नाम: पहले भी विवादों में रह चुके हैं जावेद सिद्दिकी

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया नाम: जावेद सिद्दिकी कोई नया नाम नहीं हैं। वे इससे पहले भी साढ़े सात करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े के एक पुराने मामले में आरोपी रह चुके हैं। उस केस में उन्हें करीब तीन साल जेल में रहना पड़ा था। इस घटना के बाद भी उन्होंने अपना नेटवर्क और प्रभाव बनाए रखा।

बताया जाता है कि उनका एक मजबूत कॉर्पोरेट और शैक्षणिक नेटवर्क है, जो अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत संचालित होता है।

इस ट्रस्ट के नाम पर करीब 9 कंपनियां रजिस्टर्ड थीं, जो शिक्षा, सॉफ्टवेयर, फाइनेंशियल सर्विसेज और एनर्जी सेक्टर से जुड़ा कारोबार करती थीं। इन सभी कंपनियों का पता दिल्ली के एक ही स्थान पर दर्ज था।

इनमें से कई कंपनियां 2019 के बाद निष्क्रिय या बंद कर दी गईं, जिससे अब एजेंसियां इनकी फंडिंग और वित्तीय गतिविधियों पर बारीकी से नज़र रख रही हैं।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी की कहानी

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया नाम: जावेद सिद्दिकी ने देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी, इंदौर से बी.टेक किया था। करीब पच्चीस साल पहले वे महूं (मध्य प्रदेश) से दिल्ली-एनसीआर आए और फरीदाबाद में बस गए। यहां उन्होंने पहले एक इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव रखी, जो बाद में अल-फलाह यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित हुआ।

1997: अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना
2019: मेडिकल कॉलेज को मान्यता मिली
2019: पहले बैच में एमबीबीएस की शुरुआत

आज इस यूनिवर्सिटी के कैंपस में 650 बेड का मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल भी संचालित है, जो संस्थान का प्रमुख हिस्सा माना जाता है।

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया नाम: फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर जांच

ईडी के सूत्रों का कहना है कि जांच अब फंड डाइवर्जन और मनी लॉन्ड्रिंग की दिशा में बढ़ रही है। संदेह है कि अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट और इससे जुड़ी कंपनियों के माध्यम से गैर-कानूनी लेनदेन किए गए हों। कुछ इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट्स में यह भी संभावना जताई गई है कि इन्हीं चैनलों का इस्तेमाल दिल्ली ब्लास्ट केस से जुड़ी फंडिंग में किया गया हो सकता है।

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे संभव हैं, क्योंकि अब जांच का दायरा सिर्फ संदिग्ध व्यक्तियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह शैक्षणिक संस्थानों और उनके वित्तीय लेनदेन तक पहुंच गया है।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या शैक्षणिक और चैरिटेबल संस्थानों का इस्तेमाल आर्थिक अपराधों और आतंकी फंडिंग के लिए किया जा रहा है। फिलहाल जांच एजेंसियां इस दिशा में हर पहलू को खंगालने में जुटी हैं।

- Advertisement -

More articles

- Advertisement -

Latest article