हालही में अरुणाचल प्रदेश में 20,942 फीट ऊंची एक अनाम चोटी पर चढ़ाई करने वाली नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (NIMAS) की एक टीम ने इस पर्वत को छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो का नाम देने का फैसला लिया। बता दें कि जिस चोटी पर पर्वतारोहियों ने चढ़ाई की है वहां आजतक कोई नहीं पहुंच पाया है।
चीन हमेशा से ही अरुणाचल प्रदेश को लेकर चर्चा में रहता है। अब उसने एक बार फिर अपने नापाक मंसूबे जाहिर किए हैं । भारतीय पर्वतारोहियों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक पर्वत को छठे दलाई लामा का नाम देने पर पर चीन को मिर्ची लग गयी है। चीन ने गुरुवार को भारत के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए एक बार फिर अरुणाचल पर अपना दावा किया है।
NIMAS, अरुणाचल प्रदेश के दीरंग में स्थित है, जो रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। रक्षा मंत्रालय के एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि, ‘छठे दलाई लामा के नाम पर पहाड़ी का नाम रखना उनकी अमर बुद्धिमत्ता और मोनपा समुदाय के प्रति उनके गहरे योगदान को सम्मानित करने के लिए है.’
अरुणाचल प्रदेश कि एक चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखा गया है,इसपर पड़ोसी देश चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान का कहना है कि वो नहीं जानते यह किस बारे में बात हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि ज़ंगनान चीनी क्षेत्र है और भारत के लिए चीनी क्षेत्र में ‘अरुणाचल प्रदेश’ स्थापित करना अवैध और अमान्य है। बता दें कि चीन भारत के अरुणाचल को ज़ंगनान कह कर बुलाता है।
चीन के दावे बेबुनियाद- भारत
अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को अस्वीकार करते हुए भारत ने कहा कि अरुणाचल इस देश का अभिन्न हिस्सा है और यह किसी के अवैध दावे से बदलने नहीं वाला।
अरुणाचल पर दावा करता रहा है चीन
भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर हमेशा से ही तनातनी चलती आ रही है। चीन इस क्षेत्र पर अपना दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अहम हिस्सा मानता है। यहाँ तक कि चीन अरुणाचल के लोगों को भारत का नागरिक नहीं मानता है, बल्कि अपना कहता है। इसलिए वहां के लोगों को चीन जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं है। जानकार मानते हैं कि चीन इसलिए भी स्टेपल वीजा जारी करता है, क्योंकि ये सिर्फ एक कागजी दस्तावेज है। अगर वो वीजा जारी कर देगा तो इसका मतलब होगा कि अरुणाचल पर भारत के दावे को उसने मान लिया.