मोकामा मर्डर केस: बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर गोलियों की आवाज़ गूंज उठी। जन सुराज पार्टी के समर्थक और इलाके के बाहुबली नेता दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।
इस हत्या के बाद पूरे इलाके में तनाव का माहौल है और सियासत भी तेज़ हो गई है। जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने दुलारचंद यादव की मौत पर गहरा शोक जताते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।
मोकामा मर्डर केस: शव को भेजा पोस्टमार्टम के लिए
इस हत्याकांड का आरोप मोकामा के कुख्यात बाहुबली अनंत सिंह पर लगाया जा रहा है।
फिलहाल पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और जांच शुरू कर दी है।
दुलारचंद यादव के पोते ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम लोग पढ़े-लिखे हैं, कोई AK-47 वाले नहीं हैं।” उनकी यह बात मोकामा की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति को लेकर एक बड़ी चर्चा का कारण बन गई है।
1 लाख पुरुष और 94 हजार महिलाएं शामिल
मोकामा बिहार की राजधानी पटना जिला का एक प्रमुख नगर परिषद क्षेत्र है। यह गंगा किनारे बसा ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से अहम इलाका है, जिसकी पहचान वर्षों से बाहुबली राजनीति से भी जुड़ी रही है।
मोकामा नगर परिषद को कुल 28 वार्डों में बांटा गया है। 2011 की जनगणना के अनुसार, मोकामा की कुल जनसंख्या लगभग 1,94,000 है, जिसमें करीब 1 लाख पुरुष और 94 हजार महिलाएं शामिल हैं।
मोकामा की आबादी का लगभग 32.4 प्रतिशत हिस्सा शहरी इलाकों में रहता है, जबकि 67.6 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है।
इसका मतलब यह है कि आज भी यहां के दो-तिहाई लोग गांवों में रहकर खेती या मजदूरी पर निर्भर हैं।
शिक्षा में लैंगिक असमानता
अब बात करते हैं शिक्षा की। 2011 की जनगणना के अनुसार मोकामा ब्लॉक का औसत साक्षरता दर (Literacy Rate) 65.18 प्रतिशत है।
वहीं अगर सिर्फ मोकामा नगर परिषद की बात करें तो यहां की कुल साक्षरता दर 72.79 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इसमें पुरुषों की साक्षरता दर 80.39 प्रतिशत,
जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 64.17 प्रतिशत है। यानी यहां शिक्षा के मामले में अब भी लैंगिक असमानता बनी हुई है।
राज्य स्तर पर देखें तो बिहार की साक्षरता दर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार अब भी राष्ट्रीय औसत से कम है। देश का औसत लिटरेसी रेट जहां 79.4% तक पहुंच चुका है,
वहीं बिहार का औसत लगभग 71.2% बताया जा रहा है। मोकामा इस औसत से थोड़ा ऊपर जरूर है, लेकिन यहां भी ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
मोकामा में 94 फीसदी आबादी हिंदू समुदाय की
धर्म और जनसंख्या के अनुपात की बात करें तो मोकामा में 94 फीसदी आबादी हिंदू समुदाय की है, जबकि मुस्लिम आबादी करीब 5.11 प्रतिशत है।
इसके अलावा सिख, क्रिश्चियन और अन्य समुदायों के लोग भी यहां रहते हैं। मोकामा की यह मिश्रित आबादी इसे सामाजिक रूप से विविध बनाती है,
लेकिन राजनीतिक और अपराध से जुड़ी घटनाओं ने अक्सर इस इलाके की छवि को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
मोकामा लंबे समय से बाहुबली राजनीति का गढ़ माना जाता है। यहां से कई बार ऐसे नेता चुनाव जीत चुके हैं, जिनका नाम आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा रहा है।
अनंत सिंह जैसे बड़े नामों ने इस इलाके में दशकों तक दबदबा बनाए रखा।
दुलारचंद यादव की हत्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मोकामा जैसे इलाकों में अब भी विकास और शिक्षा से ज़्यादा ताकत और हथियारों की राजनीति चल रही है?
हालांकि मोकामा की नई पीढ़ी अब बदलाव चाहती है। यहां के युवाओं में शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।
कई छात्र पटना और दूसरे शहरों में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं। यही वजह है कि दुलारचंद यादव के पोते का यह कहना “हम लोग पढ़े-लिखे हैं, कोई AK-47 वाले नहीं हैं”
मोकामा के बदलते समाज की तस्वीर पेश करता है।


