मणिपुर पहुंचे मोदी: मणिपुर में 2023 में हुई भीषण हिंसा के दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को चुराचांदपुर का दौरा किया। यह वही इलाका है जहां हिंसा का सबसे गहरा असर पड़ा था और करीब 260 लोगों की जान चली गई थी।
भारी बारिश के बावजूद प्रधानमंत्री ने इम्फाल एयरपोर्ट से 65 किलोमीटर का सफर तय किया और पीस ग्राउंड स्थित राहत शिविरों में रह रहे बुजुर्गों और बच्चों से मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ राज्यपाल अजय कुमार भल्ला भी मौजूद रहे।
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मणिपुर पहुंचे मोदी: हिंसा की पृष्ठभूमि और समुदायों की मांगें
चुराचांदपुर मुख्य रूप से कुकी-जो जनजातीय समुदाय का इलाका है। मई 2023 में यहां हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब एक रैली के जरिए मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का विरोध किया गया था।
इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए और दोनों समुदायों के बीच टकराव ने हिंसक रूप ले लिया। कुकी-जो समुदाय लंबे समय से पहाड़ी जिलों को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रहा है,
जबकि मैतेई लोग इम्फाल घाटी में बहुसंख्यक हैं और उनका विरोध जारी है।
7,300 करोड़ की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास
प्रधानमंत्री मोदी ने चुराचांदपुर की इस यात्रा के दौरान 14 बड़ी विकास परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया।
लगभग 7,300 करोड़ रुपये की लागत वाली इन परियोजनाओं में ड्रेनेज सिस्टम, महिला छात्रावास, आधुनिक स्कूल और सुपर-स्पेशलिटी स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हैं।
सरकार का कहना है कि इन योजनाओं से स्थानीय लोगों को रोज़गार और बेहतर जीवन-स्तर मिलेगा।
मणिपुर हिंसा और वर्तमान हालात
3 मई 2023 को मैतेई और कुकी-जो समुदाय के बीच भड़की हिंसा ने पूरे मणिपुर को हिला दिया था।
इस संघर्ष में सैकड़ों लोग घायल हुए और 60,000 से ज्यादा लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए। स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और 13 फरवरी 2024 से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
वर्तमान में भी हजारों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं और सामान्य जीवन बहाल होने में समय लग रहा है।
पीएम मोदी की अगली यात्रा इम्फाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अगला पड़ाव इम्फाल होगा, जहां वे हिंसा से विस्थापित लोगों से मिलेंगे। इम्फाल में अब भी हजारों कुकी परिवार राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री यहां 1,200 करोड़ रुपये की विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और ऐतिहासिक कांग्ला किला में जनसभा को संबोधित करेंगे।
राजनीतिक विवाद और कांग्रेस का हमला
प्रधानमंत्री की इस यात्रा को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मणिपुर लंबे समय से जल रहा है और प्रधानमंत्री का अब जाकर आना कोई बड़ी बात नहीं है।
वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे राज्यवासियों के साथ अपमान बताते हुए कहा कि यह यात्रा शांति और सद्भाव स्थापित करने के बजाय एक “राजनीतिक तमाशा” है।
मणिपुर का रणनीतिक महत्व
मणिपुर के मुख्य सचिव पुणीत गोयल ने इस मौके पर कहा कि मणिपुर केवल एक सीमा राज्य नहीं है, बल्कि भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” का अहम स्तंभ है।
यह राज्य दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए प्रवेश द्वार है और भारत की विविधता तथा सांस्कृतिक धरोहर का गर्वित संरक्षक भी है।