Manipur: मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को लेकर एक अच्छी खबर आई है। केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार ने गुरुवार को कुकी-जो काउंसिल (केजेडसी) के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौते का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब नेशनल हाईवे-2 को खोलने पर सभी पक्षों की सहमति बन गई है।
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Manipur: नेशनल हाईवे-2 का महत्व
नेशनल हाईवे-2 मणिपुर राज्य की जीवन रेखा मानी जाती है। यह सड़क मणिपुर को नागालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से जोड़ती है। मई 2023 से राज्य में भड़के जातीय तनाव के कारण यह महत्वपूर्ण हाईवे बंद हो गया था।
इससे राज्य के लोगों को काफी परेशानी हो रही थी। आवश्यक सामान पहुंचाने में दिक्कत हो रही थी और राज्य की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो रही थी।
हाईवे बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों का हुआ जो हिंसा के कारण अपने घरों से बेघर हो गए थे। राहत शिविरों में रह रहे हजारों परिवारों तक जरूरी सामान पहुंचाना मुश्किल हो गया था।
दवाइयां, खाना और अन्य जीवनयापन की चीजें मंगाने में काफी समस्या आ रही थी।
बातचीत से बना समाधान
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों और केजेडसी के प्रतिनिधिमंडल के बीच पिछले कुछ दिनों में कई दौर की बातचीत हुई। इन बैठकों में सभी पक्षों ने मणिपुर में स्थायी शांति लाने की जरूरत पर सहमति जताई।
गुरुवार को नई दिल्ली में हुई बैठक में गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस बैठक का सबसे अहम नतीजा यह निकला कि सभी पक्षों ने राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखते हुए नेशनल हाईवे-2 को खोलने पर अपनी सहमति दी।
यह फैसला मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सुरक्षा व्यवस्था में सहयोग
केजेडसी ने केंद्र सरकार को आश्वासन दिया है कि वे एनएच-2 पर शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षाबलों के साथ पूरा सहयोग करेंगे।
यह बात बेहद अहम है क्योंकि बिना स्थानीय समुदायों के सहयोग के हाईवे को सुरक्षित रूप से चलाना मुश्किल होता है।
सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ-साथ स्थानीय नेताओं का सहयोग मिलने से यह उम्मीद बढ़ गई है कि अब हाईवे को बिना किसी बाधा के खोला जा सकेगा।
इससे न केवल आम लोगों को फायदा होगा बल्कि राज्य की आर्थिक गतिविधियां भी सुचारू रूप से चलने लगेंगी।
एक साल तक रहेगा समझौता प्रभावी
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह समझौता एक साल के लिए प्रभावी रहेगा। इस दौरान तीनों पक्षों को इस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि समझौते की शर्तों का पालन हो।
एक साल का समय इसलिए दिया गया है ताकि इस दौरान और भी व्यापक बातचीत हो सके और मणिपुर में स्थायी समाधान निकाला जा सके।
इंफाल और नई दिल्ली दोनों जगह के अधिकारियों का मानना है कि नेशनल हाईवे-2 के खुलने से विस्थापित परिवारों की मुश्किलें काफी कम हो जाएंगी। राहत शिविरों में रह रहे लोगों तक आवश्यक सामान पहुंचाना
अब आसान हो जाएगा। यह समझौता मणिपुर में लंबे समय से चल रहे संकट के समाधान की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।