Mahakumbh Special: महाकुम्भ देश ही नहीं पूरी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। इस आयोजन में देश ही नहीं विदेश भर से लोग आते हैं। ऐसे में आइये जानते है कि महाकुम्भ इतना खास क्यों है।
Mahakumbh Special: महाकुम्भ की शुरुआत प्रयागराज में 13 जनवरी से हो चुकी है जिसका समापन 26 जनवरी को होगा। इस महाकुम्भ में दुनिया के हर कोने से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। प्रयागराज में संगम तट पर स्नान का अलग ही महत्व है। ये पर्व आता, अध्यात्म और संस्कृति का अद्वितीय संगम है। श्रद्धालु तिथियों के हिसाब से स्नान करने पहुंचते हैं जैसी मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा आदि पर संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं।
अबकी बार इन 45 दिनों में 45 से 50 करोड़ श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान है। आप इस आंकड़े से महाकुम्भ की भव्यता का अनुमान लगा सकते हैं। साधू संत, प्रसीध हस्तियों से लेकर आम आदमी तक सब महाकुम्भ में हिस्सा लेते हैं। गंगा, जमुना और सरस्वती के पवन संगम पर डुबकी लगाकर लोग खुद को धन्य महसूस करते हैं। आज इस महाकुम्भ की अमेरिका से लेकर चीन तक सब जगह चर्चा है। ऐसे में आइये जानते हैं महाकुम्भ की वो बातें जो इसे इतना खास और अद्भुत बनाती है।
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Mahakumbh Special: महाकुंभ खास क्यों है इन 10 बिंदुओं से जानिये
- Mahakumbh Special: महाकुंभ सबसे खास इसलिए है क्यूंकि ये 144 सालों में एक बार आता है। सभी पीढ़ियों के लिए बेहद खास है। हम इसके साक्षी है ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है। महाकुंभ में स्नान कर पुण्य जरूर कमाएं। महाकुंभ अवश्य जाएं और इस आस्था के विशाल आयोजन बनें।
- ये एक धार्मिक उत्सव तो है ही लेकिन साथ ही ये भारत की अर्थव्यवस्था को भी बड़े पैमाने पर ले जायेगा। अनुमान है कि इससे 2 लाख करोड़ का मुनाफा भारत को होगा। इस से उत्तर प्रदेश की जीडीपी में 1% तक वृद्धि होगी।
- कुंभ से एक बड़ी पौराणिक कथा जुडी है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश की कुछ बूंदें जिन स्थानों पर गिरीं थी वहीं कुम्भ मेले का आयोजन होता है। और इन्हीं जगहों में से प्रयागराज भी एक है।
- महाकुंभ को धार्मिक तौर पर तो बड़ा आयोजन है कि लेकिन इसे वैश्विक मान्यता भी प्राप्त है। 2017 में यूनेस्को (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि लिस्ट में कुंभ शामिल हुआ था।
- गंगा, जमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों का संगम इसे और महत्वपूर्ण बनाता है। ऐसी मान्यता है कि त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
- महाकुंभ में 13 अखाड़े आते हैं, जो इसे और ज्यादा खास बनाती है। ये अखाड़े शाही स्नान का अधिकार रखते हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा अखाड़े की स्थापना वैदिक सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए की गयी थी।
- महाकुंभ के इस पर्व में देश के भक्तों के साथ विदेशी भक्त शामिल होते हैं। आप इस ही से अंदाजा लगा लीजिये महाकुंभ को भव्यता का। महाकुंभ से जुडी मान्यताएं विदेशी भक्तों को भी खींच ही लाती है।
- कुम्भ का पहला लिखित प्रमाण प्रमाण चीनी यात्री ह्वेनसांग की कहानियों में मिलता है। वो राजा हर्षवर्धन के शासन के दौरान भारत आये थे।
- कुंभ मेले का पहला ज्ञात विवरण 629 ईसा पूर्व -645 ईसा पूर्व की अवधि में माना गया है।
- कुंभ में नागा साधु सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं। कुम्भ में कोने-कोने से नागा साधु शामिल होते हैं और शाही स्नान करते हैं।
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