लॉस एंजिल्स के रिफाइनरी में आग: कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में गुरुवार 2 अक्टूबर को बड़ा हादसा हो गया।
जब अमेरिका के पश्चिमी तट की सबसे बड़ी रिफाइनरियों में गिनी जाने वाली शेवरॉन की एल-सेगुंडो रिफाइनरी में भीषण आग लग गई।
अचानक भड़की इस आग से पूरे इलाके में अफरातफरी का माहौल बन गया और लोगों में दहशत फैल गई। सोशल मीडिया पर आग के कई वीडियो तेजी से वायरल हुए,
जिनमें साफ देखा जा सकता था कि रिफाइनरी से उठती हुई लपटें आसमान तक पहुंच रही थीं और धुएं का गुबार पूरे क्षेत्र में फैल गया था।
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लॉस एंजिल्स के रिफाइनरी में आग: आग लगने के कारण का पता नहीं चल पाया
आग की सूचना मिलते ही फायरब्रिगेड की कई गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और राहत व बचाव कार्य शुरू किया गया।
शुरुआती क्षणों में यह आग इतनी भयावह नजर आ रही थी कि आसपास के लोगों को भारी नुकसान का अंदेशा सताने लगा,
लेकिन राहत की बात यह रही कि आग रिफाइनरी के सिर्फ एक हिस्से तक ही सीमित रही।
रिपोर्ट के अनुसार लॉस एंजिल्स काउंटी की सुपरवाइजर होली मिशेल ने कहा कि आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया है और स्थिति अब नियंत्रण में है।
स्थानीय अधिकारियों ने भी पुष्टि की कि दमकल विभाग के त्वरित हस्तक्षेप के कारण हादसा बड़े नुकसान में तब्दील नहीं हो पाया।
हालांकि अभी तक आग लगने के सही कारण का पता नहीं चल पाया है और जांच जारी है।
बड़ा नुकसान टला
लॉस एंजिल्स की शेवरॉन रिफाइनरी में लगी आग भले ही सीमित रही हो और बड़ा नुकसान टल गया हो,
लेकिन इसने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी रिफाइनरियों में सुरक्षा को लेकर हमेशा अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है।
ऐसे हादसे न सिर्फ स्थानीय स्तर पर जन-जीवन को प्रभावित करते हैं बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार पर भी असर डाल सकते हैं।
भारत में भी आग लगने की कई घटनाएं आई सामने
रिफाइनरी में आग लगने की घटनाएं केवल अमेरिका तक सीमित नहीं हैं।
पिछले साल नवंबर 2024 में भारत के गुजरात के वडोदरा स्थित इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की रिफाइनरी में भीषण आग लगी थी।
उस समय एक स्टोरेज टैंक में विस्फोट हुआ था, जिसके बाद आग फैल गई और इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी।
इसके सिर्फ दो दिन बाद उत्तर प्रदेश की मथुरा रिफाइनरी में भी आग लग गई थी, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ।
इसी साल जनवरी में चीन की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक सिनोपेक की झेनहाई रिफाइनरी में भी आग भड़क उठी थी, ़
जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए थे।