लाल किला मेट्रो स्टेशन ब्लास्ट: दिल्ली के लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, लेकिन अब जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, यह साफ हो रहा है कि इस वारदात के पीछे एक संगठित और बेहद खतरनाक नेटवर्क काम कर रहा था।
जांच एजेंसियों ने इस मॉड्यूल के केंद्र में जम्मू-कश्मीर के एक मौलवी इरफान अहमद को पाया है, जिसने डॉक्टरों को कट्टरपंथी विचारधारा की ओर धकेला और उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल कराया।
लाल किला मेट्रो स्टेशन ब्लास्ट: कौन है मौलवी इरफान अहमद?
लाल किला मेट्रो स्टेशन ब्लास्ट: जांच में सामने आया है कि मौलवी इरफान अहमद जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले का निवासी है। उसका सीधा संपर्क पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकियों के साथ था।
हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने वाला डॉक्टर मुजामिल शकील पहली बार 2023 में इरफान के संपर्क में आया था, और इसी मुलाकात ने आगे चलकर एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का रूप ले लिया।
कट्टरपंथ की राह पर धकेलने वाला पहला कदम
लाल किला मेट्रो स्टेशन ब्लास्ट: मुजामिल शकील के पास से फरीदाबाद में 2950 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ था, जिसमें वही अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल था जिसका इस्तेमाल लाल किले के ब्लास्ट में किया गया।
शकील और धमाका करने वाले आतंकी उमर की मुलाकात इरफान से तब हुई जब वे एक मरीज को श्रीनगर के सरकारी अस्पताल ले जा रहे थे। दो साल तक फोन कॉल्स और मैसेज के जरिए लगातार संपर्क में रहने के बाद मौलवी ने धीरे-धीरे दोनों को कट्टरपंथ की ओर मोड़ दिया।
डॉक्टरों का ग्रुप और टेलिग्राम नेटवर्क
इरफान ने न सिर्फ शकील और उमर को कट्टरपंथी बनाया, बल्कि इनसे कहा गया कि वे अपने भरोसेमंद साथियों को भी जोड़ें।
इसके बाद इस नेटवर्क ने टेलिग्राम का इस्तेमाल कर कट्टर विचारधारा फैलानी शुरू की।
जांच के अनुसार, मौलवी इरफान ने दक्षिण कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के साथ कई गुप्त मीटिंग्स भी आयोजित करवाईं, जहाँ से इस मॉड्यूल को हथियार, मार्गदर्शन और मिशन मिला।
‘मैडम सर्जन’ और हथियारों का कनेक्शन
लाल किला मेट्रो स्टेशन ब्लास्ट: जैश के आतंकियों ने इस समूह को दो असॉल्ट राइफल्स मुहैया कराईं।
इनमें से एक राइफल शाहिना सईद की कार से मिली, जिसे आतंकी ग्रुप में ‘मैडम सर्जन’ के नाम से जाना जाता है।
जांच में पता चला है कि वह जैश की महिला शाखा का हिस्सा थी, जिसकी स्थापना ऑपरेशन सिंदूर के बाद की गई थी।
दूसरी राइफल श्रीनगर जीएमसी के डॉक्टर आदिल अहमद राठेर के लॉकर से बरामद की गई। यही वह सुराग था जिसने एजेंसियों को पूरे नेटवर्क तक पहुंचा दिया।
राठेर की गलती और पूरे मॉड्यूल का खुलासा
आदिल अहमद राठेर की गतिविधियों ने पूरे सेल की पोल खोल दी।
वह जम्मू-कश्मीर के नौगाम में जैश के समर्थन में पोस्टर लगाते हुए CCTV कैमरे में कैद हो गया था।
इस फुटेज के आधार पर उसे उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में उसने:
मुजामिल शकील का नाम बताया
विस्फोटक के स्टॉक की जानकारी दी
‘मैडम सर्जन’ शाहिना सईद का कनेक्शन उजागर किया
मौलवी इरफान अहमद को मुख्य कड़ी के रूप में चिन्हित किया
इसके बाद एजेंसियों ने तेजी से कार्रवाई करते हुए ब्लास्ट मॉड्यूल को जाल में फंसा लिया।

