Saturday, August 16, 2025

Krishna Janmashtami 2025: निर्जला या फलाहार, नियम और भूलवश व्रत टूटने पर क्या करें

Janmashtmi 2025: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का व्रत बेहद पावन माना जाता है।

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16 अगस्त 2025 को भक्तजन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में पूरे दिन उपवास रखते हैं और मध्यरात्रि को उनके बाल स्वरूप की पूजा-अर्चना करते हैं।

इस दिन व्रत रखना केवल परंपरा नहीं बल्कि भक्ति, श्रद्धा और आत्मसंयम का प्रतीक है।

निर्जला व्रत रखने के नियम

Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर निर्जला व्रत को सबसे कठिन और पवित्र माना जाता है।

इसमें न जल, न अन्न, न ही फल का सेवन किया जाता है।

भक्त पूरे दिन भूखे रहकर भजन-कीर्तन करते हैं, श्रीकृष्ण जन्म कथा सुनते हैं और ध्यान में समय बिताते हैं।

रात्रि 12 बजे भगवान के जन्म के बाद ही पूजा कर जल और प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोला जाता है।

हालांकि यह व्रत केवल वही रखें जो पूर्ण रूप से स्वस्थ हों। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बीमार लोग या स्तनपान कराने वाली माताएं इसे न करें।

फलाहार व्रत का महत्व

Janmashtami 2025: जिन्हें निर्जला व्रत कठिन लगता है, वे फलाहार व्रत रख सकते हैं।

इसमें फल, दूध, दही, जूस, साबूदाना, कुट्टू व सिंघाड़े के आटे से बने व्यंजन खाए जा सकते हैं।

लेकिन गेहूं, चावल, दाल और तैलीय भोजन से परहेज करना ज़रूरी है। फलाहार व्रत उन लोगों के लिए श्रेष्ठ है जो निर्जला उपवास नहीं रख सकते।

गलती से व्रत टूट जाए तो क्या करें?

Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर रात्रि में भगवान कृष्ण के जन्म तक चलता है।

लेकिन अगर भूलवश व्रत के दौरान अन्न का सेवन हो जाए तो व्रत खंडित माना जाता है। ऐसे में घबराने की ज़रूरत नहीं है।

सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा प्रार्थना करें और निम्न मंत्रों का जाप करें –

  • मंत्र:
    मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
    यत्पूजितं मया देवा परिपूर्ण तदस्तु मे॥
  • क्षमा प्रार्थना मंत्र:
    ॐ श्री विष्णवे नमः क्षमा याचना समर्पयामि॥
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥

इन मंत्रों का कम से कम 5 बार जाप करके भगवान से प्रार्थना करें कि व्रत अनजाने में टूटा है।

इसके बाद उपवास को आगे जारी रख सकते हैं और रात में विधिवत पूजा के बाद भोग लगाकर व्रत पूरा करें।

ध्यान रखने योग्य बातें

  • व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण है।
  • यदि स्वास्थ्य कारणों से निर्जला व्रत न रख सकें तो फलाहार करना भी उतना ही पुण्यकारी है।
  • व्रत के नियम तोड़ना दोष नहीं है, यदि वह अनजाने में हुआ हो और सच्चे मन से क्षमा मांगी जाए।
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