Kolkata Rape-Murder Case: ममता बनर्जी राजनीती के मांझी हुई खिलाड़ी है। उन्हें पता है कब कौनसा दांव खेलना है। ममता बनर्जी का आखरी हथियार उनका विक्टिम कार्ड खेलना होता है। वो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने इस कार्ड से अपने पक्ष में कर ही लेती हैं। इसलिए उनका ये इस्तीफे की पेशकश करना लोग राजनीतिक पैंतरा मान रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि ममता कोलकाता पुलिस कमिश्नर के इस्तीफे के बजाय खुद बलिदान क्यों दे रही हैं।
कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी में न्याय कि मांग को जूनियर डॉक्टर्स लगतार प्रदर्शन कर रहे हैं। बंगाल सरकार ने इस केस में जिस तरह से लीपापोती कर इसे छुपाने की कोशिश की है उससे आम लोगों के मन भी ममता को लेकर जबरदस्त असंतोष फ़ैल गया है। लेकिन अब ममता तो राजनीती की मंझी हुई खिलाड़ी हैं। उन्हें हारी बाज़ी को जीतने में बदलने की कला बखूबी पता है।
पहले तो आंदोलनकारी डॉक्टर्स से मिलना के लिए खुद तैयार होना, फिर मीटिंग में उनका 2 घंटे तक इंतजार करना और फ़िनली रिजाइन के बात कहना सब रणनीति का ही हिस्सा है। ममता बनर्जी ने प्रेस कांफ्रेंस में कोलकाता के लोगों से माफ़ी मांगी साथ ही ये भी कहा कि उनकी भी यही इच्छा है कि पीड़िता को न्याय मिले। यही कारण है कि वो लोगों के लिए अपने पद से इस्तीफ़ा देने को सज्ज है। ममता के इस बयान से ठीक पहले एक वीडियो वायरल किया गया जिसमें वो खाली कुर्सियों के बीच जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल का इंतज़ार करते दिखे दे रही है।
खुद को नायक और डॉक्टर्स को खलनायक दिखाना
कोलकाता रेप-मर्डर केस में न्याय की मांग को लेकर हड़ताल पर बैठे डॉक्टर्स से बात करने के बहाने अब ममता ने लोगों से सहानुभूति लेने का दांव खेला है। ममता और जुईऔर डॉक्टर्स की ये मीटिंग गरुवार को नहीं हो पायी थी। अब ममता ने एक ऐसा माहौल क्रिएट कर दिया कि वो 2 घंटे तक डॉक्टर्स का इंतजार करती रही लेकिन डॉक्टर नहीं आये। इसके लिए उनका एक वीडियो वायरल किया गया जिसमें वो खली कुर्सियों के बीच डॉक्टर का इंतजार कर रही है। अब जनता को डॉक्टर की ही गलती दिखाई दे इस कारण शासन की ओर से कहा गया की इव स्ट्रीमिंग को लेकर डॉक्टर अड़े रहे और कॉन्फ्रेंस हॉल में नहीं गए। इसके बाद इस मीटिंग को कैंसिल कर दिया गया। ममता ने इसके पीछे तर्क दिया कि मामला अभी कोर्ट में है इसलिए वो लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत नहीं दे सकती थी।
जनता की नजरों में डॉक्टर्स को खलनायक साबित करने के लिए और भी कई तर्क दिए गए। जैसे कि डॉक्टर्स को मिलने के लिए तीन बार बुलाया गया। सरकार ने डॉक्टर्स की ममता से मीटिंग की बात भी स्वीकार कर ली थी। इस मीटिंग के लिए पहले 15 डॉक्टर्स को ही अनुमति दी गयी थी लेकिन बाद में फिर 32 डॉक्टर्स की अनुमति भी दे दी गयी लेकिन डॉक्टर्स अपनी लाइव स्ट्रीमिंग की जिद पर अड़े रहने के कारण मीटिंग में नहीं आये।
ममता ने खेला अपना आखिरी विक्टिम कार्ड
जो लोग ममता को काफी लम्बे समय से देखते आ रहे हैं वो ममता के इस पैटर्न को बखूबी समझते हैं। वो अपने कार्ड को ब्रह्मास्त्र की तरह खेलती है। जब उनको लगने लगता है कि अब उनका कोई पैंतरा जनता पर नहीं चलेगा तब वो अपना आखिरी ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल कर ही लेती है। 2019 और 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी ममता ने ऐसा ही कुछ किया। उन्होनें कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार उन्हें निशाना बनाने के कोशिश कर रही है और उनके खिलाफ एजेंसियों का दुरूपयोग कर रही है।
ममता को अपना ब्रह्मास्त्र क्यों निकालना पड़ा?
अब कोलकाता रेप-मर्डर केस में चीजें ममता के हाथ से निकल चुकी हैं। ना तो आंदोलन थम रहे हैं ना ही ममता को लेकर लोगों के मन में आक्रोश। कोलकाता में आंदोलन बढ़ते यही जा रहे हैं। ममता के खिलाफ ये विरोध की आग थमने का नाम ही नहीं ले रही है। कोलकाता रेप-मर्डर में लीपापोती करने से पहले भी कई मामलों में उनपर आरोप लगे हैं लेकिन उनको ममता के अपने जादुई तरीके से संभाल लिया था। कोयले खदान में गड़बड़ी का आरोप उनके भतीजे पर है, ममता की पार्टी के कार्यकर्ताओं के घोटाले भी किसी से छुपे नहीं है, शिक्षक मंत्री घोटाले में भी उनके मंत्री को जेल के हवा खानी पड़ी थी। इस सभी मामलों को ममता ने बड़ी आसानी से हैंडल किया है और अपनी सत्ता को नियमित बनाये रखा है।
पर कोलकाता-रेप केस उनसे हैंडल नहीं हो पा रहा है। वो समझ नहीं पा रही हैं कि अब वो इसे कैसे शांत करे। इसके कारण पार्टी कॉडर में भी असंतोष बढ़ रहा है। अब तो टीएमसी के नेता भी उनका विरोध कर रहे हैं। इन सबके बीच अब उनके पास अपना ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं बचा था। इस ब्रह्मास्त्र के इस्तेमाल से वो अपना पसंदीदा पुलिस कमिश्नर को भी बचा ही लेंगी।