जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी पैटर्न: सिक्योरिटी फोर्सेज के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2024 में 61 और 2023 में 60 आतंकियों को ढेर किया गया।
इनमें से 45 आतंकी जम्मू-कश्मीर के अंदर हुए एनकाउंटर में मारे गए, जबकि 16 आतंकी LoC पर घुसपैठ की कोशिशों में ढेर हुए।
इन ऑपरेशनों के दौरान 21 पाकिस्तानी आतंकी मारे गए, लेकिन इसी अवधि में 28 नागरिक और 16 सुरक्षा बलों के जवान भी अपनी जान गंवा बैठे।
लगातार जारी दबाव और रणनीतिक ऑपरेशन ने स्थानीय सपोर्ट नेटवर्क लगभग खत्म कर दिया था, लेकिन हाल के घटनाक्रम फिर से खतरा बढ़ने का संकेत दे रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी पैटर्न: सर्दियों से पहले बड़ा अलर्ट: मूविंग व्हीकल IED का डर
जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी पैटर्न: खुफिया एजेंसियों ने ताज़ा अलर्ट जारी करते हुए चेताया है कि पाकिस्तान के कई आतंकी ग्रुप सर्दियां गहराने से पहले बड़े पैमाने पर आतंकी गतिविधियां फिर से शुरू करने की तैयारी में हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए ‘दिल्ली स्टाइल’ मूविंग-व्हीकल IED के जरिए सुसाइड ब्लास्ट किए जा सकते हैं। इस इनपुट ने एजेंसियों की चिंताएँ कई गुना बढ़ा दी हैं।
पहलगाम हमले के बाद आतंकियों की संख्या में चौंकाने वाली बढ़ोतरी
जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी पैटर्न: POK और पाकिस्तान में कई आतंकी लॉन्चिंग पैड के तबाह होने के बाद उम्मीद थी कि घाटी में आतंकवाद पूरी तरह कमजोर होगा, लेकिन पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर के बाद हालात उलटे निकलकर सामने आए।
सिक्योरिटी अधिकारियों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या बढ़कर 131 हो गई है, जिनमें से 122 पाकिस्तानी हैं और केवल 9 लोकल आतंकवादी हैं।
कश्मीर घाटी में स्थानीय आतंकियों की संख्या मात्र तीन है, जबकि बाकी चिनाब घाटी और पीर पंजाल बेल्ट में सक्रिय हैं।
मार्च 2025 तक सिर्फ 59 पाकिस्तानी आतंकी थे… अब संख्या दोगुने से ज्यादा
जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी पैटर्न: मार्च 2025 के अंत तक जम्मू-कश्मीर में 59 पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय थे।
इनमें 21 जैश-ए-मोहम्मद, 21 लश्कर-ए-तैयबा, 3 हिज्बुल मुजाहिदीन और 14 अन्य छोटे ग्रुप्स के आतंकी थे।
लेकिन पहलगाम हमले के बाद हालात पूरी तरह बदल गए। “ज़ीरो रिक्रूटमेंट” पॉलिसी की वजह से लोकल भर्ती लगभग खत्म हो चुकी है, मगर पाकिस्तान आर्मी-समर्थित ग्रुप्स और उनके प्रॉक्सी नेटवर्क — TRF, PAFF आदि — ने फॉरेन फाइटर्स की घुसपैठ सफलतापूर्वक बढ़ा दी है।
OGW नेटवर्क तोड़ने के बाद भी ख़तरा क्यों बढ़ा?
जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी पैटर्न: एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि घाटी के पुराने OGW नेटवर्क को तोड़ दिया गया है और स्थानीय आतंकियों को खत्म कर दिया गया है, लेकिन यही खाली जगह अब बिल्कुल नए और अनजान विदेशी आतंकियों ने भर दी है।
ये लड़ाके पुराने पैटर्न से अलग हैं — नए रूट्स, नए सिस्टम, और नए लॉजिस्टिक सपोर्ट के साथ आए हैं। कई रेड और गिरफ्तारियों के बावजूद यह नया नेटवर्क अभी भी एजेंसियों की निगाहों में पूरी तरह नहीं आया है।
पहलगाम के बाद 12 टॉप टेररिस्ट खत्म, लेकिन नया खतरा ज्यादा गहरा
पहलगाम हमले के बाद चलाए गए बड़े ऑपरेशन में 12 टॉप आतंकियों को ढेर किया गया, जिनमें 6 पाकिस्तानी और 6 स्थानीय थे।
लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इससे तुरंत खतरा कम भले हुआ हो, मगर असल चुनौती अभी सामने आनी बाकी है।
अब जो आतंकी ग्रुप सक्रिय हैं, वे भीड़ में घुले-मिले, सफेदपोश, और सिस्टम में घुसपैठ वाले मॉड्यूल हैं — जिन्हें पहचानना पहले से कहीं कठिन है।
‘व्हाइट कॉलर जैश मॉड्यूल’: सबसे खतरनाक और सबसे कम समझा जाने वाला नेटवर्क
जम्मू-कश्मीर में नया आतंकी पैटर्न: दिल्ली कार ब्लास्ट और उसके बाद J&K, दिल्ली, हरियाणा और यूपी में फैले नेटवर्क पर की गई कार्रवाई से कई बातें साफ हुईं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अभी भी अनसुलझा है — यह नया व्हाइट कॉलर जैश मॉड्यूल आखिर कितना बड़ा है?
इस मॉड्यूल की खासियत यह है कि इसमें शामिल लोग सड़क पर हथियार लेकर नहीं घूमते, बल्कि कॉलेज, यूनिवर्सिटी, बिजनेस, टेक फर्म और सरकारी व्यवस्था के भीतर छुपकर काम करते हैं।
ये लोग आतंकी गतिविधियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट, डिजिटल फंडिंग, फर्जी डॉक्यूमेंटेशन, कोडेड कम्युनिकेशन और सुरक्षित शेल्टर उपलब्ध कराते हैं — बिना खुद मैदान में उतरे हुए।
आगे की चुनौती: फॉरेन फाइटर्स + सफेदपोश नेटवर्क = नई तरह की आतंक रणनीति
J&K में वर्तमान चुनौती सिर्फ हथियारबंद आतंकियों को खत्म करने की नहीं है, बल्कि उस पूरे सिस्टम को समझने और तोड़ने की है जिसमें विदेशी फाइटर्स और भारतीय सिस्टम में छुपा ‘व्हाइट कॉलर मॉड्यूल’ एक साथ काम कर रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह वह दौर है जहां हर ऑपरेशन सफलता भी देता है और नए सवाल भी खड़े करता है — क्योंकि दुश्मन का चेहरा बदला नहीं है, लेकिन उसकी तकनीक और रणनीति पूरी तरह बदल चुकी है।

