Thursday, September 19, 2024

J&K: घाटी में मिल गई दहशतगर्दों की कुंडली, आतंकियों के मददगारों को बेनकाब करेगा यह खास दस्ता

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Terrorism will be eliminated in Jammu and Kashmir: सुरक्षा बलों को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगारों का पता लगाने में सफलता मिल रही है। ऐसे में अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं है, जब आतंकियों के तमाम मददगार बेनकाब होंगे। सुरक्षा बलों एवं जांच एजेंसियों की मदद से आतंकियों के हमदर्द दबोचे जाएंगे। इसके लिए सुरक्षा बलों के खास निहत्थे दस्तों को काम पर लगाया गया है। वे ऐसे ओवर ग्राउंड वर्कर का पता लगाएंगे, जो जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकियों के लिए सप्लाई चेन का काम करते हैं। विशेष तौर पर शिक्षा, खेल, जल, वन, राजस्व और पुलिस जैसे सरकारी विभागों में खुफिया तरीके से यह दस्ता उन लोगों को ढूंढ निकालेगा, जो आतंकियों की मदद करते हैं।

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ऐसे रहेगी संदिग्धों पर पैनी नजर

एक दस्ता ऐसा तैयार किया गया है जो संदिग्धों के मोबाइल फोन पर नजर रखेगा। ऐसा बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान के सिम इस्तेमाल किए जा रहे हैं। सरकारी विभागों में आतंकियों के मददगारों के पास ऐसे ही सिम कार्ड बताए जा रहे हैं। इन्हीं मददगारों को ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ भी कहा जाता है। ये लोगों के बीच रहते हैं, इसलिए इन पर किसी को शक नहीं होता। अब एक ऐसा पुख्ता पैटर्न तैयार किया जा रहा है, जिसके माध्यम से कोई भी सूचना, ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ तक न पहुंच सके।

खुफिया सूचनाओं का होगा आदान-प्रदान

सूत्रों का कहना है कि अब दो तरह से खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान होगा। सरकारी विभागों में जो भी आतंकियों के मददगार हैं, उनकी सूचना त्वरित गति से केंद्रीय गृह मंत्रालय के ‘मल्टी एजेंसी सेंटर’ तक पहुंचेगी। हालांकि एक ही समय पर वह सूचना, जम्मू कश्मीर में मौजूद सेना, जेकेपी और सीआरपीएफ के साथ साझा होगी। केंद्रीय एजेंसियों के विश्वस्त सूत्रों ने बताया, जम्मू कश्मीर में अब बड़े पैमाने पर खुफिया दस्ते तैयार किए गए हैं। ये दस्ते 24 घंटे लोगों के बीच में रहेंगे। सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी बनकर प्रशासनिक कार्यालयों में आतंकियों के मददगारों का पता लगाएंगे।

विशेष रूप से इन लोगों पर रखी जाएगी नजर

एक निहत्था दस्ता, बस टर्मिनल, स्कूल एवं कॉलेज मैदान, वन विभाग के सभी भवन, रेल, बैंक, राजस्व महकमा, पुलिस और जल आपूर्ति से जुड़े कर्मचारियों पर नजर रखेगा। पता चला है कि ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’, सीधे तौर पर आतंकियों के संपर्क में नहीं रहते। वे इसके लिए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की प्रॉक्सी विंग ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ की प्रॉक्सी विंग ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ के सदस्यों के संपर्क में रहते हैं। यहां से उन्हें आतंकियों की मदद और तरीके को लेकर दिशा निर्देश मिलता है।

आतंकी संगठन भी लालच देकर लेते हैं मदद

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (जेकेएफएफ) और कश्मीर टाइगर्स जैसे आतंकी संगठन भी ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ को लेकर सक्रिय रहते हैं। पैसे का लालच देकर ये संगठन, सरकारी कर्मचारियों को अपने साथ मिला लेते हैं। पिछले दिनों जम्मू कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी कर 4 सरकारी कर्मियों को बर्खास्त कर दिया था। इनमें दो पुलिस कर्मी भी शामिल थे। बाकी दो कर्मियों में से एक स्कूल टीचर और दूसरा, जल शक्ति विभाग का सहायक लाइनमैन शामिल था। इन पर आतंकियों की मदद करने का आरोप लगा था।

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