Big statement of Vice President Dhankar in Jaipur: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि विश्व की सबसे प्राचीन एवं समृद्धतम भारतीय संस्कृति अपने सर्वसमावेशी स्वरूप, पुनीत परंपराओं एवं मानवर्धक मान्यताओं को आज भी अक्षुण्ण बनाए हुए है। इसीलिए इसे सनातन संस्कृति के रूप में जाना जाता है। सनातन कभी विष नहीं फैलाता। उन्होंने हिंदुओं के धर्म परिवर्तन की कुचालों का खुलासा करते हुए कहा कि सुनियोजित तरीके से सनातनियों का धर्म परिवर्तन किया जा रहा है, जो बहुत खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन कराने वाले समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हैं। ऐसी देश विरोधी ताकतें हमारे आदिवासी लोगों में अधिक घुसपैठ कर रही हैं। उन्हें लालच देते हैं। ऐसी देश विरोधी ताकतों के खिलाफ तीव्र गति से काम करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे नापाक इरादों वाली ताकतों को नकारा जा सके। हमें सचेत रहना पड़ेगा। हमें तीव्र गति से काम करना पड़ेगा। उप राष्ट्रपति धनखड़ गुरुवार को जयपुर के आदर्श नगर दशहरा मैदान में हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र परसेवा
उप राष्ट्रपति ने संस्कृत के श्लोक सुनाकर अपनी भावना का इजहार भी किया। उप राष्ट्रपति ने कहा कि न त्वहं कामये राज्यं, न स्वर्गं नापुनर्भवम्। उनका कहना था कि न तो मुझे राज्य की इच्छा है। कितना सुंदर भाव है, जो हमारी संस्कृति को दर्शाता है। न स्वर्ग की और न मोक्ष की कामना है। मैं तो यही चाहता हूँ कि दुखों से पीड़ित लोगों की पीड़ा को मिटाने में मेरा जीवन काम आए। मेरा जीवन दूसरों की सेवा में खप जाए। यह हमारी भारतीय संस्कृति का निचोड़ है। मूलमंत्र है।
संपूर्ण जीव जगत का कल्याण
उप राष्ट्रपति ने कहा कि यह आर्यावर्त की वैदिक संस्कृति है, जो देश-काल-समाज एवं वर्ग विशेष की सीमा से मुक्त रही है। यह किसी जंजीर में नहीं बंधी है। हिंदू धर्म सच्चे अर्थ में समावेशी है। इसमें केवल मनुष्य मात्र नहीं, बल्कि संपूर्ण जगत में विद्यमान जीव-जंतु और प्रकृति के संरक्षण की बात कही गई है। हमारी सभ्यता का विस्तार केवल मानव कल्याण तक नहीं है। यह पृथ्वी पर सभी जीवों के कल्याण तक फैली हुई है। हमारी सभ्यता के विभिन्न पहलुओं पर नजर डालें, तो हमें यह दर्शन भरपूर मात्रा में मिलेगा।
संविधान में सनातन को स्थान
जगदीप धनखड़ ने बताया कि हमारे संविधान के मूल्य बखूबी सनातन धर्म को परिभाषित करते हैं। प्रस्तावना में सनातन धर्म निहित है। हमारे संविधान के मूल्य सनातन धर्म से उत्पन्न होते हैं। हमारे संविधान की प्रस्तावना में सनातन धर्म का सारांश है। सनातन समावेशी है। सनातन ही मानवता के आगे बढ़ने का एकमात्र मार्ग है। आज का यह कार्यक्रम वर्तमान समय में अत्यंत प्रासंगिक है। हमारे सामने कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जो चुनौतीपूर्ण हैं, जिनका समाधान विश्व को हमारा देश ही दे सकता है। इससे पहले जयपुर एयरपोर्ट पर उप मुख्यमंत्री डॉ.प्रेमचंद बैरवा ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अगवानी की। उप मुख्यमंत्री ने उपराष्ट्रपति धनखड़ का स्वागत एवं अभिनंदन किया।