Jagannath Temple, Ratna Bhandaar ओडिशा के जगन्नाथ पूरी मंदिर में रत्न भंडार है, जिसमें बेशकीमती खजाना मौजूद है। हर तीन साल में रत्न भंडार को खोलकर उसके अंदर मौजूद खजाने का मुआयना करना का नियम है। ये खजाना ओडिशा सरकार की मंजूरी मिलना के बाद ही खोला जा सकता है। लेकिन पिछले 46 साल से ये रत्न भंडार बंद है। लेकिन अब इसे वापस खोला गया है हालांकि इसके खोले जाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
1978 के बाद अब खोला गया रत्न भंडार
आखरी बार इस खजाने की जांच 1978 में की गयी थी। इस काम के लिए सरकार द्वारा 11 सदस्यों की एक टीम बनाई गयी थी। ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बिश्वनाथ रथ इस टीम के अध्यक्ष थे। इस टीम में उनके अलावा श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर अरबिंद पाढ़ी, पुरी के राजा ‘गजपति महाराजा’ और एएसआई अधीक्षक डीबी गडनायक जैसे कई महारथी शामिल थे।
रत्न भंडार का सामान 6 संदूकों में किया गया शिफ्ट
टीम ने मंदिर के अंदर 14 जुलाई, दोपहर 1:28 मिनट पर प्रवेश किया। जगनाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने बताया कि बाहरी रत्न भंडार का सामान लकड़ी के 6 संदूकों में रखकर सील कर दिया गया है, लेकिन रत्न भंडार के अंदरूनी हिस्से का सामान अभी भी वैसा ही है। अंदर का सामान बहुडा यात्रा और सुना वेशा के बाद संदूकों में रखा जायेगा। रत्न भंडार में मौजूद सभी रत्नों, आभूषणों और बाकी बेशकीमती चीजों की गिनती और मरम्मत करवाई जाएगी। इनकी सभी डिटेल्स जैसे संख्या, गुणवत्ता, वजन, फोटो संबंधित जैसे पैमानों का विशेष डिजिटल कैटलॉग भी तैयार किया जायेगा। इसे भविष्य में एक रेफरेंस डाक्युमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा। कल खजाने में क्या चीजें मिली है इसका अभी तक टीम में कोई खुलासा नहीं किया है।
मंदिर में प्रभु की पूजा के बाद खुला था रत्न भंडार
भवन जगन्नाथ का मंदिर का चार धामों में से एक है। इस मंदिर को लेकर लोगों के मन में भक्ति में भी गहरी आस्था का भाव है। इस वजह से 11 सदस्यों की टीम के अंदर जाने से पहले विशेष पूजार्चना कराई गयी और प्रभु जगन्नाथ का आशीर्वाद भी लिया गया। रत्न भंडार कोई मामूली खजाना नहीं है कहा जाता है ये पूरा भंडार बहुमूल्य रत्न और आभूषणों से भरा है। एक रिपोर्ट के अनुसार राजा अनंगभम देव ने भगवन जगानाथ के आभूषण तैयार करने के लिए भारी मात्रा में सोना भेंट किया था।
रत्न भंडार में मौजूद है बहुमूल्य हीरे-जवारात
रत्न भंडार में दो कमरे हैं जिसे भीतर भंडार और बाहरी भंडार कहा जाता है। रिपोर्ट्स के मुतबिक बाहरी खजाने में सोने से बने मुकुट, सोने के तीन हार जिनमें से हर एक वजन 120 तोला है। रिपोर्ट में भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के सोने से बने श्रीभुजा और श्रीपयार का भी जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक आंतरिक खजाने में करीब 74 सोने के गहने हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन 100 तोला से भी ज्यादा है। जिसमें सोने, हीरे, मूंगा और मोतियों से बनी प्लेटें हैं। इसके अलावा 140 से ज्यादा चांदी के आभूषण भी खजाने में मौजूद हैं।
1978 में जब रत्न भंडार खुला तो क्या मिला?
2018 में ओडिशा के तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि जब 1978 में रत्न भंडार के दरवाजे खोले गए थे, तब करीब 140 किलो सोने के गहने, 256 किलो चांदी के बर्तन प्राप्त हुए थे। मंदिर प्रशासन के मुताबिक मिले सभी आभूषणों में कीमती पत्थर जेड गए थे। साल 2023 में, अगस्त में जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि रत्न भंडार को 2024 की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान जांच के लिए खोला जाए। अफवाहें थीं कि रत्न भंडार में सांप मौजूद हैं जो प्रभु जगन्नाथ में रखे खजाने की सुरक्षा करते हैं, लेकिन समिति के सदस्यों ने बताया कि खजाने के अंदर कोई सांप नहीं थे।
1978 में आखिरी बार खुला था रत्न भंडार का दरवाजा
हर तीन सालमें रत्न भंडार को खोलकर उसके अंदर रखे जेवर और अन्य जवाहरातों का मुआयना करना नियम है। लेकिन पिछले 46 सालों से इसे नहीं खोला गया। इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई का सफर तय करना पड़ा। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के आग्रह पर साल 2018 में ओडिशा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निरीक्षण के लिए पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोलने की अनुमति दी थी। लेकिन ओडिशा सरकार की ओर से कहा गया कि रत्न भंडार की चाबियां कहीं खो गयी है। पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार लूटने के लिए 15 बारहमले हुए। पहली बार 1451 में और आखिरी बार 1731 में मोहम्मद तकी ने मंदिर के रत्न भंडार पर हमला किया था।