Israel Gaza War: गाजा पट्टी में मानवीय संकट और राजनीतिक तनाव लगातार गहराता जा रहा है। हाल ही में इजराइली सेना की ओर से दक्षिणी गाजा में एक राहत केंद्र के पास की गई फायरिंग ने दुनिया भर की संवेदनाओं को झकझोर दिया है।
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक इस गोलीबारी में कम से कम 27 फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई है।
यह राहत वितरण केंद्र “गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन” द्वारा संचालित किया जा रहा था, जिसे अमेरिका का समर्थन प्राप्त है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब लोग भूख और ज़रूरत के चलते कतारों में राहत सामग्री के लिए खड़े थे, तभी अचानक फायरिंग शुरू हो गई। चश्मदीदों ने इसे “बिना चेतावनी की गई अंधाधुंध गोलीबारी” बताया।
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Israel Gaza War: 1400 से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान
संयुक्त राष्ट्र की मानें तो केवल 27 मई के बाद से अब तक 1,400 से अधिक फिलिस्तीनी ऐसे हमलों में जान गंवा चुके हैं।
यह आंकड़ा साफ़ तौर पर दर्शाता है कि इस संघर्ष में सबसे अधिक पीड़ा आम नागरिकों को ही झेलनी पड़ रही है।
रविवार को भी भुखमरी की वजह से 6 अन्य लोगों की मौत हो गई, जिससे यह साफ हो गया है कि गाजा के लोगों के लिए भोजन, पानी और दवाओं जैसी मूलभूत जरूरतें भी अब एक संघर्ष का हिस्सा बन चुकी हैं।
केंद्र के पास भी अब गोलियां चल रही
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजराइल की कार्रवाइयों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और कई अन्य वैश्विक संस्थाएं लगातार गाजा में मानवीय गलियारे की मांग कर रही हैं,
जिससे कम से कम आम लोगों तक राहत सामग्री सुरक्षित तरीके से पहुंच सके, लेकिन जिस तरह राहत वितरण केंद्र के पास भी अब गोलियां चल रही हैं, वह इस मांग को और जरूरी बना देता है।
अल-अक्सा मस्जिद में प्रार्थना
इसी बीच यरुशलम में एक और विवाद ने माहौल को और गर्मा दिया है। इजराइल के कट्टरपंथी राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर द्वारा अल-अक्सा मस्जिद परिसर में सार्वजनिक रूप से की गई प्रार्थना ने नई बहस छेड़ दी है।
यह वही पवित्र स्थल है जिसे मुस्लिम “हरम अल-शरीफ” और यहूदी “टेंपल माउंट” के नाम से जानते हैं। इस जगह पर दशकों से एक यथास्थिति समझौता लागू है, जिसके मुताबिक मुसलमानों को यहां इबादत की अनुमति है, लेकिन यहूदी केवल दर्शन कर सकते हैं।
मुस्लिम देशों ने जताई आपत्ति
बेन-गवीर की इस हरकत को इस समझौते का सीधा उल्लंघन माना जा रहा है। उन्होंने न सिर्फ सार्वजनिक रूप से यहां प्रार्थना की, बल्कि इसे अपने सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा कि “यहूदी लोगों को अपने पवित्र स्थलों पर अधिकार से कोई रोक नहीं सकता।”
इससे न सिर्फ फिलिस्तीनी समुदाय में आक्रोश भड़का है, बल्कि जॉर्डन, सऊदी अरब और तुर्की जैसे मुस्लिम देशों ने भी इस पर आपत्ति जताई है।
यह घटना ऐसे समय हुई है जब पहले ही गाजा में युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। अल-अक्सा मस्जिद को लेकर संवेदनाएं बेहद गहरी हैं, और इस तरह के कदम पूरे क्षेत्र में धार्मिक तनाव को भड़का सकते हैं।