World-War 3: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन वर्षों से युद्ध जारी है। इसके साथ ही मिडिल ईस्ट में इजराइल और तुर्किए के बीच टकराव ने एक नया संकट खड़ा कर दिया है। एशिया में भारत और पाकिस्तान के संबंध भी अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं, जहां हाल ही में दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष भी देखा गया। यह सभी घटनाएं तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाओं को और बल देती हैं।
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पहले और दूसरे विश्व युद्ध का इतिहास कितना भयावह था
World-War 3: अब तक दुनिया दो बार विश्व युद्ध देख चुकी है, जिनमें लाखों-करोड़ों लोगों की जान गई। पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 के बीच लड़ा गया था, जिसमें मित्र राष्ट्रों और केंद्रीय शक्तियों के बीच टकराव हुआ। इसमें लगभग 2 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद 1939 से 1945 तक चला द्वितीय विश्व युद्ध, इतिहास का सबसे विनाशकारी संघर्ष था, जिसमें करीब 7 से 8.5 करोड़ लोगों की जान गई थी। यह युद्ध धुरी राष्ट्रों और मित्र राष्ट्रों के बीच लड़ा गया था।
मौजूदा स्थिति में कौन होंगे दो बड़े गुट?
World-War 3: अगर आज की वैश्विक स्थिति को देखा जाए, तो दुनिया साफ तौर पर दो गुटों में बंटती दिख रही है। एक तरफ अमेरिका है, जो खुद को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत मानता है और रूस व चीन को अपना सबसे बड़ा खतरा मानता है। अमेरिका के साथ यूरोपीय देश और NATO देश खड़े हैं। दूसरी ओर, रूस, चीन, उत्तर कोरिया और कई अरब देश एक दूसरे के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। अगर यह टकराव बढ़ा, तो तीसरे विश्व युद्ध की स्थिति बन सकती है।
भारत की ऐतिहासिक नीति, गुटनिरपेक्षता
World-War 3: भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है – गुटनिरपेक्ष रहना। शीत युद्ध के समय जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच टकराव चरम पर था, तब भारत ने किसी भी गुट में शामिल न होकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व किया। आज भी भारत उसी नीति पर कायम है और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है। भारत की प्राथमिकता अपनी सीमाओं की रक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना है।
भारत की संभावित भूमिका अगर युद्ध हुआ
अगर तीसरा विश्व युद्ध होता है, तो भारत की कोशिश यही रहेगी कि वह सीधे युद्ध में शामिल न हो और वैश्विक स्तर पर शांति कायम रखने की दिशा में काम करे। हालांकि, अगर भारत की सीमाओं पर खतरा आता है या भारत पर सीधा हमला होता है, तो वह मजबूती से अपनी रक्षा करेगा। भारत की विदेश नीति अब ज्यादा व्यावहारिक हो गई है, लेकिन गुटनिरपेक्षता का मूल भाव आज भी उसके दृष्टिकोण में दिखता है।
क्या भविष्य में विश्व युद्ध टालना संभव है?
World-War 3: हालांकि तीसरे विश्व युद्ध की आशंका तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अब भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसे प्रयास हो सकते हैं जो युद्ध को टाल सकें। कूटनीतिक बातचीत, शांति वार्ता और आपसी सहयोग के जरिए यह संभव है कि वैश्विक विनाश को रोका जा सके। भारत जैसे देशों की भूमिका इस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जो संतुलन बनाकर शांति की राह दिखा सकते हैं।