सोशल मीडिया हमारी लाइफ का एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट पार्ट बन चुका है। जहाँ एक तरफ लोग रील्स बना कर पैसे और फॉलोवर्स कमा रहे है वहीँ दूसरी तरफ इसका एक नेगेटिव पेहलु भी समाने आया है जो रिश्तो में प्यार और विश्वास को ख़तम कर रहा है। इसी बात का साबुत देता है गुजरात के अहमदाबाद का फ़मिलय कोर्ट। अहमदाबाद के फॅमिली कोर्ट में सिर्फ इसी साल 4500 से ज़्यादा मामले फाइल हुए है जिसमे से 70% सिर्फ डाइवोर्स के है। इन केसेस में से 50 % डाइवोर्स केसेस की वजह सिर्फ हस्बैंड-वाइफ में मोबाइल, या सोशल मीडिया की लत के चलते होने वाले झगडे है।
इसी समस्या को बताते हुए फॅमिली कोर्ट ने 2 केसेस का भी एक्साम्प्ले दिया। जिसमे case1 में पत्नी खुद के यू ट्यूब चैनल के लिए वीडियो बनाती थी। या कहे की वीडियो बनाए की लत से परेशां थी। जिसकी वजह से किसी और चीज़ पर ध्यान नहीं देती थी। इसी के चलते पति-पत्नी में छोटी-छोटी बातो पर बेहेस होने लगी,और बात तलाक तक जा पहुंची। वहीँ केस 2 में पत्नी दो से ज़्यादा लोगों के साथ चैटिंग करती थी। जब पति के सामने इस बात का खुलासा हुआ तब दोनों में विवाद हो गया और हालात इतने बिगड़ गए की बात तलाक पर आ गयी।
हम सभी सोशल मीडिया में इतना खो चुके है की ज़िन्दगी जीना भूल ही गए है। आप खुद को ही देख लीजिये, हम में से अधिकतर लोग जब भी अपने फ़ोन पर होते है तब अपने परिवार या दोस्तों के साथ हो के भी नहीं होते । आज के समय में हमे असली ज़िन्दगी से ज़्यादा सोशल मीडिया की झूठी मगर रंगीन दुनिया पसंद आने लगी है। हम किसी जगह घूमने जाये या कुछ खाने उससे एन्जॉय करने की जगह उसकी फोटो जरूर लेते है ताकि उसे अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सकें। ताकि हमे वहां पर कुछ लाइक्स और कमेंट मिल सकें। हमारे जानने वालो को पता चले की हम कितने खुश है। और इसी के चक्कर में हम उस पल को जीना भूल जाते है। और क्या पता हमारी वो झूटी ज़िन्दगी की तस्वीरें देख कर कोई असली ज़िन्दगी का मज़े लेने वाला उदास हो जाता हो। क्योकि वो यह सब नहीं कर सकता। सोशल मीडिया पर सच्ची खुसिया बाटना अच्छा है मगर उससे सब कुछ सिर्फ उसके लिए करना। अब खुद समझदार है।