Friday, September 5, 2025

युवा भारत का दावा फीका, बुजुर्गों की बढ़ती तादाद ने खड़ी की बड़ी चुनौती

भारत में अक्सर ‘युवा देश’ होने की बात की जाती है, लेकिन आंकड़े इसके विपरीत तस्वीर पेश कर रहे हैं।

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जहां 14 वर्ष तक की आबादी में तेजी से गिरावट दर्ज हुई है, वहीं वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे जनसांख्यिकीय संतुलन बदलता दिखाई दे रहा है।

प्रजनन दर में गिरावट से घटा बच्चों का अनुपात

रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) 2023 रिपोर्ट बताती है कि प्रजनन दर में कमी ने 0 से 14 वर्ष आयु वर्ग की जनसंख्या को बुरी तरह प्रभावित किया है।

वर्ष 1971 में कुल प्रजनन दर 5.2 थी, जो 2023 में घटकर 1.9 रह गई।

1971 से अब तक बच्चों की आबादी में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार 1971-1981 के बीच बच्चों की हिस्सेदारी 41.2 प्रतिशत से घटकर 38.1 प्रतिशत हो गई।

वहीं 1991-2023 के दौरान यह 36.3 प्रतिशत से घटकर 24.2 प्रतिशत रह गई। यह गिरावट भारत के भविष्य के कार्यबल को लेकर गहरी चिंता पैदा कर रही है।

सर्वेक्षण में सामने आए जनसांख्यिकीय संकेतक

यह रिपोर्ट 88 लाख लोगों के सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें प्रजनन, मृत्यु दर और अन्य जनसांख्यिकीय संकेतकों का विश्लेषण किया गया।

आंकड़ों से स्पष्ट है कि बच्चों की आबादी घट रही है, जबकि 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों की संख्या 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।

लड़कों की संख्या ज्यादा, अपवाद रहा दिल्ली का ग्रामीण क्षेत्र

आंकड़े यह भी बताते हैं कि 0 से 14 वर्ष आयु वर्ग में देशभर में लड़कों की संख्या लड़कियों से ज्यादा है।

हालांकि दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में इसका उलटा रुझान देखने को मिला, जहां लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक पाई गई।

कामकाजी आयु वर्ग का बढ़ता अनुपात

रिपोर्ट के अनुसार 15 से 59 वर्ष आयु वर्ग की आबादी 1971-1981 में 53.4 प्रतिशत से बढ़कर 56.3 प्रतिशत हो गई।

1991-2023 के बीच यह हिस्सा और बढ़कर 66.1 प्रतिशत हो गया। दिल्ली में यह अनुपात सबसे ज्यादा 70.8 प्रतिशत दर्ज किया गया।

राज्यों में कामकाजी आयु वर्ग की स्थिति

तेलंगाना में यह आंकड़ा 70.2 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 70.1 प्रतिशत पाया गया। बिहार में यह अनुपात सबसे कम 60.1 प्रतिशत रहा।

राजस्थान 63.4, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश 63.9 प्रतिशत पर रहे। जम्मू-कश्मीर में ग्रामीण कामकाजी महिलाएं 70.1 प्रतिशत दर्ज की गईं।

शहरी-ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात

असम के शहरी क्षेत्रों में 72.4 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी आयु वर्ग में शामिल पाई गईं। दिल्ली में ग्रामीण कामकाजी पुरुष 72.9 प्रतिशत रहे।

जबकि असम में शहरी कामकाजी पुरुषों की संख्या 70.9 प्रतिशत दर्ज हुई। यह प्रवृत्ति क्षेत्रीय असमानताओं को भी उजागर करती है।

बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और अग्रणी राज्य

देश में 60 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 2023 में 9.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी।

केरल 15.1 प्रतिशत बुजुर्गों के साथ सबसे ऊपर रहा। इसके बाद तमिलनाडु 14 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश 13.2 प्रतिशत के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

बदलती तस्वीर का संकेत

यह रिपोर्ट साफ दर्शाती है कि भारत की जनसांख्यिकीय संरचना बदल रही है। घटते बच्चों और बढ़ते बुजुर्गों की संख्या भविष्य की नीतियों के लिए चुनौती होगी।

युवा आबादी की ताकत पर आधारित विकास मॉडल को अब नए सिरे से सोचना होगा।

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