भारत ने 45वें चेस ओलंपियाड में पुरुष और महिला दोनों श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह 1924 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट के 100 सालों में भारत का पहला गोल्ड है। इससे पहले, 2022 में भारत ने कांस्य पदक जीता था। इस बार, पुरुष टीम ने 11 राउंड में से 10 मैच जीतकर और 1 ड्रा करके स्वर्ण पदक जीता, जबकि महिला टीम ने 11 में से 9 मैच जीते। यह प्रदर्शन भारतीय टीम की मजबूत रणनीति और खिलाड़ियों के उत्कृष्ट खेल को दर्शाता है।
युवा प्रतिभा
भारतीय टीम की विशेषता यह है कि 10 में से 6 खिलाड़ी 23 साल से कम उम्र के हैं। यह युवा प्रतिभा भारत को चेस की एक उभरती महाशक्ति के रूप में स्थापित कर रही है। इस भारतीय विजेता टीम में एक भाई-बेहेन कि जोड़ी भी शामिल थी जिनके नाम प्रागी और वैशाली है, जिन्होंने इस टूर्नामेंट में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
चेस में पुरस्कार और मान्यता
अर्जुन एरिगैसी, जिन्होंने करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग में नंबर 3 स्थान प्राप्त किया, और डी गुकेष को पुरुष बेस्ट प्लेयर का पुरस्कार मिला। वहीं, दिव्या देशमुख और वन्तिका अग्रवाल ने महिला बेस्ट प्लेयर का खिताब जीता।
आत्मविश्वास और उत्साह
चेस के दिग्गजों ने भारतीय टीम के आत्मविश्वास की तारीफ की है। इस जीत को 1983 के क्रिकेट विश्व कप जीत के समान माना जा रहा है। खिलाड़ियों ने ट्रॉफी लेकर रोहित शर्मा और लियोनल मेसी की तरह जश्न मनाते हुए अपने उत्साह का इज़हार किया।
चेस का भारतीय इतिहास
चेस का अविष्कार भारत में ही हुआ था, जिसे प्राचीन काल में ‘चतुरंग’ कहा जाता था। आज देश ने उसी खेल में अपनी महानता का लोहा मनवाया है, और यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।