बागेश्वर बालाजी की हिंदू यात्रा रैली: बागेश्वर धाम से जुड़े कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नेतृत्व में निकाली गई हिंदू यात्रा रैली ने दिल्ली से वृंदावन तक विशेष ध्यान आकर्षित किया।
रैली का उद्देश्य धार्मिक आस्था को मजबूत करना, सामाजिक जागरूकता को बढ़ाना और सांस्कृतिक मूल्यों को एकजुट करना बताया गया।
इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु, युवा और सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल हुए।
यात्रा के दौरान शास्त्री ने समाजिक मुद्दों, विशेषकर युवाओं की सुरक्षा, पहचान छिपाकर होने वाले संबंधों से सावधानी और पारिवारिक संस्कारों की पुनर्स्थापना जैसे विषयों को उठाया।
लव जिहाद को रोकने की शपथ
बागेश्वर बालाजी की हिंदू यात्रा रैली: कार्यक्रम के दौरान शास्त्री ने मंच से युवाओं को रिश्तों में सतर्कता बरतने और किसी भी तरह के छल, प्रपंच या पहचान छिपाने वाले मामलों से सावधान रहने की शपथ दिलाई।
आयोजकों ने इसे समाज में बढ़ती असुरक्षा को लेकर एक जागरूकता अभियान बताया।
‘हिंदू राष्ट्र’ की मांग भी यात्रा का संदेश
बागेश्वर बालाजी की हिंदू यात्रा रैली: रैली में एक और बात जिसने व्यापक चर्चा पैदा की, वह था— यात्रा के समर्थकों द्वारा भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की मांग का जोरदार उल्लेख।
समर्थकों का कहना था कि यह रैली सांस्कृतिक एकजुटता, परंपराओं की रक्षा, और धार्मिक-सामाजिक पहचान को सशक्त करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
उनका मानना है कि हिंदू राष्ट्र का विचार समाज में स्थिरता, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक निरंतरता लाने का प्रतीक है।
हालाँकि इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक वर्गों की राय अलग-अलग रही।
कुछ समूह इसे सांस्कृतिक गौरव से जोड़कर समर्थन दे रहे हैं, वहीं कुछ इसे भारत के बहुसांस्कृतिक और संवैधानिक ढांचे के संदर्भ में विवादास्पद मानते हैं।
बागेश्वर बालाजी की हिंदू यात्रा रैली: दिल्ली से वृंदावन तक यात्रा का माहौल
पूरी यात्रा में बड़े पैमाने पर धार्मिक नारे, भजन, शोभायात्रा और भगवा ध्वज देखने को मिले।
रास्ते में पड़ने वाले शहरों और कस्बों में श्रद्धालुओं ने यात्रा का स्वागत किया। सुरक्षा और व्यवस्था की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन ने संभाली।
विवाद और समर्थन—दोनों पहलू मौजूद
इस रैली ने सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में बड़ी बहस छेड़ दी है।
समर्थक इसे धार्मिक एकजुटता और पहचान का आंदोलन बता रहे हैं, जबकि विरोधियों का कहना है कि ऐसी यात्राएँ सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ा सकती हैं।
दिल्ली से वृंदावन तक निकली यह हिंदू यात्रा रैली केवल धार्मिक आयोजन नहीं रही। यह सामाजिक जागरूकता, सांस्कृतिक संरक्षण, युवाओं की सुरक्षा और ‘हिंदू राष्ट्र’ के आह्वान का संयोजन बनकर उभरी है।
इस रैली ने उत्तर भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में नई चर्चा और नए विमर्श को जन्म दिया है।

