Gonda Train Accident: इन दिनों देश में कई बड़े ट्रेन हादसे हुए हैं। आज फिर एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है। यूपी के गोंडा में चंडीगढ़ आ रही डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के 12 से 14 डब्बे उतर गए हैं जिसमें कई लोग घायल हो गए हैं। कई लोगों के मौत की खबरें भी सामने आ रही हैं।
इस समय बड़ा सवाल ये है कि आखिर इस हादसे के दौरान एक्सीडेंट से बचाने वाला रेलवे का कवच सिस्टम काम क्यों नहीं आया। आइये आज आपको बताते हैं कि ये कवच सिस्टम क्या है और ये काम कैसे करता है।
बढ़ रहे ट्रेन हादसे
इन दिनों देश में रेल हादसों की संख्या काफी बढ़ी है। गोंडा में डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसा के एक महीने पहले ही 17 जून को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में भयावह ट्रेन हादसा हुआ था। रेलवे के पास ऐसे एक्सीडेंट्स से बचने के लिए एक कवच सिस्टम है लेकिन अगर है तो फिर हादसों के दौरान ये काम क्यों नहीं किया ये बड़ा सवाल है।
रेलवे का ये कवच सिस्टम क्या है
कवच सिस्टम एक प्रणाली है, जो की रेल हादसों को होने से रोकती है। पहले ये कवच सिस्टम पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे रोकने में नाकाम रहा और अब अब गोंडा में डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के हुए हादसे में भी ये नाकाम ही रहा। आइये जानते हैं कि ये कवच सिस्टम कैसे काम करता है।
भारतीय रेलवे द्वारा रेल हादसों को रोकने के लिए रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम तैयार किया हुआ है जिसे कवच सिस्टम कहा जाता है। 2012 में इस कवच सिस्टम पर काम होना शुरू हुआ था। 2016 में इसका पहला ट्रायल हुआ था। इसे पूरे भारत में इंस्टॉल करने का तैयारी की जा रही है।
कवच सिस्टम एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सेट है। इसे ट्रेन टोकना के लिए खासतौर पर बनाया गया है। इसमें ट्रेन, रेलवे ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर के डिस्टेंस पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन डिवाइसेज को इंस्टाल किया गया है। सिस्टम में मौजूद सभी चीज अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिये मिलने वाली सिग्नल्स से ही काम करती है।
कैसे काम करता है ये रेलवे का कवच सिस्टम
अगर ट्रेन ड्राइवर किसी भी सिग्नल को तोड़ता है और आगे निकल जाता है तो ये कवच ऑटोमेटेकली एक्टिवेट हो जाता है। ये इसके तुरंत बाद ही ट्रेन के पायलट को डेंजर अलर्ट पहुंचा देता है। इसके बाद कवच सिस्टम खुद ही ट्रेन के ब्रेक्स पर अपना कंट्रोल ले लेता है। इस दौरान अगर कवच सिस्टम को यह पता चल जाता है कि सामने के ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वो पहली ट्रेन को खुद ही रोक देता है और दोनों ट्रेनें आपस में टकराने से बच जाती है।
फिलहाल अभी ये कवच सिस्टम सब जगह भारत में इंस्टॉल नहीं किया गया है। जलपाईगुड़ी के रूट पर भी कर ये सिस्टम नहीं था। जानकारी के अनुसार ये कवच सिस्टम फिलहाल दक्षिण मध्य रेलवे में 1465 किलो मीटर के रूट पर औऱ 139 इंजनों में ही इंस्टाॅल है। आज गोंडा हादसे में अगर ये सिस्टम इंस्टाल होता तो शायद ये इतना बड़ा हादसा होता ही नहीं।