Ganeshwar Shastri Dravid:: श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को वेद, ज्योतिष और वैदिक शिक्षा के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा गया है।
8 दिसंबर 1958 को जन्मे श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का जीवन आधुनिक डिग्रियों से नहीं, बल्कि प्राचीन गुरुकुल परंपरा से अर्जित शुद्ध शास्त्र ज्ञान से बना है।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक और सम्पूर्ण शिक्षा अपने पिता पंडित राजेश्वर शास्त्री द्रविड़ से प्राप्त की, जो वाराणसी के रामनगर में एक प्रख्यात न्यायशास्त्राचार्य थे।
गणेश्वर शास्त्री ने बचपन से ही चारों वेद, वेदांत, न्याय, मीमांसा, धर्मशास्त्र, दर्शन, राजशास्त्र, आयुर्वेद और पुराण का अध्ययन किया और उन्हें आचरण में उतारा।
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Ganeshwar Shastri Dravid: निःशुल्क ज्योतिष सेवा और विश्वव्यापी मार्गदर्शन
श्री द्रविड़ शास्त्री आज दुनिया भर में हजारों लोगों को निःशुल्क वैदिक ज्योतिष परामर्श प्रदान कर चुके हैं। उन्होंने इस विद्या को कभी व्यवसाय नहीं बनाया, बल्कि इसे लोककल्याण का माध्यम माना।
उनका मानना है कि ज्योतिष केवल भविष्य बताने का नहीं, बल्कि कर्म, आत्मबोध और आत्मनिर्भरता का मार्गदर्शक है। इसी भावना से वे वर्षों से भारत और विदेशों में श्रद्धालुओं को निशुल्क मार्गदर्शन दे रहे हैं।
Ganeshwar Shastri Dravid: गिरवनवाग्वर्धिनी सभा के प्रमुख विचारक
Ganeshwar Shastri Dravid: श्री द्रविड़ शास्त्री, वाराणसी के रामघाट स्थित श्री वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय की गिरवनवाग्वर्धिनी सभा के परीक्षा अधिकारी हैं। यह संस्था भारत में वैदिक परंपरा के संरक्षण और शास्त्रीय व्याख्या हेतु अग्रणी मानी जाती है।
यह सभा धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर शास्त्रसम्मत समाधान प्रस्तुत करती है, और इसमें द्रविड़ शास्त्री की भूमिका केंद्र में होती है।
राष्ट्रीय धार्मिक स्थलों में शुभ मुहूर्त का निर्धारण
Ganeshwar Shastri Dravid: भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक परियोजनाओं में श्री द्रविड़ शास्त्री की भूमिका उल्लेखनीय रही है:
श्रीराम जन्मभूमि, अयोध्या – भूमि पूजन और प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त का निर्धारण
काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर, वाराणसी – प्राण प्रतिष्ठा के लिए शास्त्रों पर आधारित मुहूर्त निर्धारण
ये मुहूर्त केवल पंचांग देख कर नहीं, बल्कि गूढ़ वैदिक गणनाओं से सिद्ध किए गए, जो उनकी गहन विद्वता का प्रमाण हैं।
रामसेतु की ऐतिहासिक रक्षा में निर्णायक साक्ष्य
श्री द्रविड़ शास्त्री ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में रामसेतु के अस्तित्व और धार्मिक महत्त्व को सिद्ध करने हेतु प्राचीन वैदिक ग्रंथों से प्रमाण प्रस्तुत किए। उनका यह योगदान केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा में अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहा।
वेदों का संपादन और संरक्षण
Ganeshwar Shastri Dravid: करीब 23 साल पहले उन्होंने कृष्ण-यजुर्वेद की एक दुर्लभ और जटिल पुस्तक का संपादन किया, जो आज भी विद्वानों और शोधार्थियों के लिए एक आधारभूत स्रोत मानी जाती है। यह प्रयास वेदों के पुनर्जीवन और युवा पीढ़ी तक उनकी पहुँच बनाने की दिशा में था।
राष्ट्रीय मान्यताओं और उपाधियों से सम्मानित
श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को उनके ज्ञान और सेवा कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थानों ने सम्मानित किया है:
‘ज्योतिष-विद्या-रत्नम’ – कांची कामकोटि पीठम, तमिलनाडु
‘माणिक्य-गौरवम’ – 2022, श्री माणिक्य प्रभु संस्थान, हुमनाबाद, कर्नाटक
‘तर्क-वागीश’ – 1982, अखिल भारतीय श्री पंडित परिषद, वाराणसी
श्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ का जीवन यह सिद्ध करता है कि यदि किसी के पास गुरुकुल परंपरा से अर्जित शुद्ध ज्ञान, सेवा का भाव और धर्म के प्रति समर्पण हो, तो वह बिना डिग्री के भी राष्ट्र निर्माण और वैश्विक सांस्कृतिक चेतना का मार्गदर्शक बन सकता है। पद्मश्री सम्मान उनके इस अमूल्य योगदान का उचित सम्मान है।