G7 Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
चौंकाने वाले बात ये है कि भारत, जो आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इस वैश्विक मंच का औपचारिक सदस्य नहीं है।
इसी तरह चीन, जो दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह भी इस समूह से बाहर है। क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं? अगर नहीं तो इस लेख को पढ़ने के बाद जान जायेंगे।
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G7 Summit: G7, किन देशों का है यह शक्तिशाली समूह?
G7 Summit: G7, यानी Group of Seven, एक ऐसा मंच है जिसमें दुनिया के सात सबसे विकसित देश शामिल हैं ।
अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान।
इसकी स्थापना 1975 में वैश्विक आर्थिक स्थिरता और नीति समन्वय के उद्देश्य से हुई थी।
बाद में इसके दायरे में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, तकनीक और सुरक्षा जैसे मुद्दे भी आ गए।
G7 Summit: जी6 से जी7 और फिर G8… लेकिन भारत और चीन क्यों बाहर?
G7 Summit: G7 की शुरुआत 1975 में G6 के तौर पर हुई थी। 1976 में कनाडा के जुड़ने के बाद यह G7 बन गया।
1997 में रूस के शामिल होने से इसे G8 कहा जाने लगा, लेकिन 2014 में क्रीमिया विवाद के चलते रूस को बाहर निकाल दिया गया।
हालांकि, भारत और चीन जैसे देश कभी इस समूह का हिस्सा नहीं बने। जबकि ये दोनों ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
भारत का ‘आउटरीच पार्टनर’ के रूप में सफर
G7 Summit: भारत को पहली बार 2003 में जी7 समिट में आमंत्रित किया गया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी फ्रांस में आयोजित सम्मेलन में विशेष अतिथि बने थे।
इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और फिर नरेंद्र मोदी को भी कई बार आमंत्रण मिलता रहा।
पीएम मोदी 2019, 2021, 2022, 2023 और अब 2025 के सम्मेलन में भी भाग ले रहे हैं। हालांकि, भारत अब तक केवल ‘आउटरीच पार्टनर’ ही है, पूर्ण सदस्य नहीं।
आखिर भारत और चीन को सदस्यता क्यों नहीं मिलती?
G7 Summit: हालांकि भारत और चीन दोनों ही आर्थिक ताकत बन चुके हैं, लेकिन इनकी प्रति व्यक्ति आय अब भी G7 देशों से काफी कम है]
जी7 मूल रूप से उन देशों का समूह है जो आर्थिक रूप से विकसित, स्थिर और उच्च जीवन स्तर वाले हैं।
जब इसका गठन हुआ, तब भारत और चीन गरीबी, जनसंख्या और विकास की चुनौतियों से जूझ रहे थे।
उस समय ये देश उस मानक पर खरे नहीं उतरते थे।
आज भी G7 का कोई विस्तार नीति नहीं है। मतलब नए सदस्य जोड़ने का कोई प्रस्ताव नहीं है, भले ही वो देश कितनी भी बड़ी अर्थव्यवस्था क्यों न बन चुके हों।
चीन का विरोध और G7 की आलोचना
G7 Summit: चीन G7 की प्रासंगिकता पर समय-समय पर सवाल उठाता रहा है।
उसका तर्क है कि जी7 आज की दुनिया का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता क्योंकि इन सात देशों की कुल जनसंख्या वैश्विक आबादी का सिर्फ़ 10% है।
साथ ही, कई बार ये देखा गया है कि चीन अकेले ही इन सभी देशों से ज़्यादा वैश्विक आर्थिक विकास में योगदान देता है।
भारत को सदस्यता क्यों नहीं दी जाती?
G7 Summit: भारत की स्थिति भी चीन से मिलती-जुलती है। प्रति व्यक्ति आय अब भी विकसित देशों के मुकाबले कम है।
हालांकि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा और वैश्विक मंचों पर भूमिका लगातार मज़बूत हुई है, फिर भी G7 की मौजूदा संरचना में बदलाव नहीं किया गया है।
समूह अब नए देशों को शामिल करने की बजाय, उन्हें अतिथि के रूप में बुलाकर संवाद करता है।