G-20 शिख़र सम्मलेन 2025: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना होंगे, जहां वे 22-23 नवंबर को जोहानिसबर्ग में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
यह दौरा न केवल भारत-दक्षिण अफ्रीका के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक दक्षिण की चुनौतियों जैसे कर्ज राहत, ऊर्जा संक्रमण और असमानता कम करने पर भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगा।
दक्षिण अफ्रीका, जो 1 दिसंबर 2024 से जी20 की अध्यक्षता संभाल रहा है, पहली बार अफ्रीकी मिट्टी पर इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी 21 नवंबर को दोपहर में दिल्ली से प्रस्थान करेंगे और 23 नवंबर को दोपहर में जोहानिसबर्ग से दिल्ली लौटेंगे। यह यात्रा तीन दिनों की होगी, जिसमें कोई अलग द्विपक्षीय दौरा शामिल नहीं है।
2014 से हर जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले मोदी का यह दक्षिण अफ्रीका का चौथा दौरा होगा।
इससे पहले वे 2016 में द्विपक्षीय यात्रा और 2018 व 2023 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों के लिए गए थे।
G-20 शिख़र सम्मलेन 2025: भारत-दक्षिण अफ्रीका संबंधों को मिलेगी नई ऊंचाईयां
पीएम मोदी का यह दौरा भारत द्वारा दक्षिण अफ्रीका के साथ संबंधों को दी जाने वाली महत्वपूर्णता को दर्शाता है। दोनों देशों के बीच हमेशा से मजबूत बंधन रहा है।
जी20 में पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे, जहां व्यापार, निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
उम्मीद जताई जा रही है कि भारत दक्षिण अफ्रीका में आईआईटी कैंपस स्थापित कर सकता है, जो शिक्षा सहयोग को बढ़ावा देगा।
इसके अलावा, जी20 के साइडलाइन्स पर भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका शिखर सम्मेलन भी होगा।
इसे “वैश्विक दक्षिण का महत्वपूर्ण मंच” बताया गया है, जहां तीनों लोकतंत्र वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशेंगे।
भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच व्यापार 2024 में 20 अरब डॉलर से अधिक पहुंच चुका है, और यह दौरा इसे और गति देगा।
अमेरिकी ने किया शिख़र सम्मलेन का बहिष्कार
इस शिखर सम्मेलन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बहिष्कार छाया बना हुआ है। ट्रंप ने इसे “अफ्रीका के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्नब” करार दिया है।
लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य प्रमुख नेता भाग लेंगे।
दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति रामाफोसा ने कहा, “हम दुनिया के नेताओं का स्वागत करने को तैयार हैं।” यह सम्मेलन अफ्रीका को वैश्विक नेतृत्व का अवसर प्रदान करेगा।
क्या होगी थीम?
2025 में G20 की थीम “एकजुटता, समानता और स्थिरता” है। इस थीम का उद्देश्य वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
एकजुटता: साझा चुनौतियों, जैसे कि गरीबी, स्वास्थ्य संकट और भू-राजनीतिक अस्थिरता से निपटने के लिए राष्ट्रों की एकता पर ज़ोर।
समानता: सभी देशों और समुदायों के लिए समान अवसरों के महत्व पर जोर देना, आर्थिक और सामाजिक असमानताओं को दूर करने का लक्ष्य रखना।
स्थिरता: जलवायु परिवर्तन से लड़ने, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने और संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने की वैश्विक प्राथमिकता को दर्शाना।
अपने विचार व्यक्त करेंगे शिखर सम्मेलन के तीनों प्रमुख सत्रों में
पहला सत्र “समावेशी और सतत आर्थिक विकास- किसी को पीछे न छोड़ना” पर केंद्रित रहेगा, जिसमें अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण, व्यापार की भूमिका, विकास के लिए वित्तपोषण और ऋण बोझ जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
दूसरा सत्र “एक सक्षम और लचीली दुनिया-जी20 का योगदान” पर आधारित होगा,
जिसमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण, जलवायु परिवर्तन, न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन और वैश्विक खाद्य प्रणालियों को मजबूती देने पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
शिखर सम्मेलन का तीसरा सत्र “सभी के लिए न्यायपूर्ण भविष्य” पर केंद्रित होगा, जिसमें महत्वपूर्ण खनिजों के प्रबंधन, सम्मानजनक रोजगार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जिम्मेदार उपयोग जैसे विषय प्रमुख रहेंगे।
इन मुद्दों पर भारत की प्राथमिकताएं और दृष्टिकोण प्रधानमंत्री के संबोधनों के माध्यम से स्पष्ट रूप से सामने आएंगे।
‘विकास बिना निर्भरता’ का मंत्र पर केंद्रित दृष्टिकोण
पीएम मोदी का अफ्रीका के प्रति दृष्टिकोण “विकास बिना निर्भरता” पर केंद्रित है। 2018 में युगांडा संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत-अफ्रीका साझेदारी के 10 सिद्धांत बताए थे।
हाल ही में घाना संसद में उन्होंने कहा, “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का विश्व व्यवस्था तेजी से बदल रही है।”
यह दृष्टिकोण जी20 में भारत की भूमिका को मजबूत करेगा, जहां सतत विकास लक्ष्यों पर 85% से अधिक लक्ष्य पटरी से उतर चुके हैं।
वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
यह दौरा मोदी की 2025 की दूसरी अफ्रीकी यात्रा होगी। जुलाई में उन्होंने घाना और नामीबिया का दौरा किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा भारत को वैश्विक दक्षिण का प्राकृतिक नेता बनाएगी।
दक्षिण अफ्रीका के आईओएल अखबार में छपी राय में कहा गया, “भारत और अफ्रीका ने उपनिवेशवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी, अब हम न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था के लिए एकजुट होंगे।”
पीएम मोदी का यह दौरा न केवल कूटनीतिक सफलता होगा, बल्कि भारत की “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना को मजबूत करेगा। जैसे ही वे जोहानिसबर्ग पहुंचेंगे, दुनिया की नजरें भारत पर टिक जाएंगी।

