Early Puberty: आप सब ने गौर किया होगा की आजकल लड़कियों को छोटी उम्र में ही पीरियड्स आने लगे है। एक सर्वे के अनुसार पता चला है की 9 साल की उम्र से ही पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या पहले से दुगनी हो गयी है। ऐसे में लड़कियों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ रहा है।
वैसे तो हर लड़की को एक उम्र के बाद पीरियड्स आते है, आम तोर पर भारत में लड़कियों को 12 साल की उम्र से पीरियड्स आने शुरू हो जाता है। लेकिन आजकल कई लड़कियों को उनका पहला पीरियड सिर्फ 9 साल की छोटी सी उम्र में ही आ जाता है। जिससे जल्दी माहवारी यानि (Early Menarche) कहा जाता है।
ऐसे में इससे जुड़ी जानकारी ना होने के कारण उन्हें आगे चलकर कई हानिकारक समस्या हो सकती है। यही नहीं बल्कि जल्दी पीरियड्स आने की वजह से बच्चियों में प्यूबर्टी जल्दी आ रही है और साथ ही मानसिक और भावनात्मक ग्रोथ भी प्रभावित हो रही है। तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और आज कल के माता-पिता को क्या करना चाहिए।
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Early Puberty: क्या है प्यूबर्टी ?
प्यूबर्टी एक प्रोसेस है जिसमें लड़के और लड़कियों के शरीर में कई बदलाव होते है। उनके प्राइवेट पार्ट्स का डेवलपमेंट होने लगता है। लेकिन आज कल के बच्चो में यह बदलाव समय से पहले होने लग जाते है। बच्चियां अपनी उम्र से ज्यादा बड़ी दिखने लगती हैं और शरीर में बदलाव के कारण तनाव भी बढ़ने लगता है।
क्यों कम उम्र में हो रही प्यूबर्टी ?
Early Puberty: एक रिसर्च से पता चला है कि लड़कियों में समय से पहले ही युवा होने के लक्षण वायु प्रदूषण के चलते सामने आ रहे हैं। एमोरी और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के साइंटिस्ट की स्टडी के मुताबिक जो बच्चियां बचपन से वायु प्रदूषण के संपर्क में है उनमे माहवारी की शुरूआत जल्दी हो जाती है।
जर्नल एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार जो बच्चियां बचपन से ऐसे क्षेत्रों में रह रही है, जहां हवा में प्रदूषण के महीन कणों का स्तर बेहद ज्यादा था, उनमें माहवारी की शुरूआत कम उम्र में हो जाती है।
Early Puberty: इसके साथ ही आजकल के बच्चे खाने में अधिक जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और कैलोरी युक्त आहार का सेवन कर रहे हैं, जिनमे कई तरह के केमिकल्स और प्रिजर्वेटिव्स होते हैं। इनसे हार्मोनल असंतुलन पैदा हो सकता है।
इसके साथ ही जंक फ़ूड का अधिक सेवन करने से बच्चों का वजन तेजी से बढ़ने लगता है जिससे हार्मोनल बदलाव जल्दी हो सकते हैं।
तनाव और मानसिक दबाव भी है एक कारण
पढाई का बढ़ता दबाव, परिवार में मन मुटाव, बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। मानसिक तनाव का असर हाइपोथैलेमस ग्रंथि पर पड़ता है, जो हार्मोनल बदलाव को नियंत्रित करता है और इससे जल्दी माहवारी आ सकती है।
Early Puberty: हेरिडिटी
यदि परिवार में किसी महिला को जल्दी पीरियड्स आ जाये तो अगली पीढ़ी की लड़कियों में भी यह चीज़ हो सकती है।
जल्दी पीरियड्स के खतरे
Early Puberty: जल्दी प्यूबर्टी आने की वजह से लड़कियों में ब्रैस्ट कैंसर,डयबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी समस्याएं बढ़ रही है। इसी के साथ उनमे मेनोपॉज़ भी जल्दी आ जाता है जिसकी वजह से उनके गर्भवती होने की सम्भावना काम हो जाती है।
जल्दी माहवारी की रोकथाम के उपाय
बच्चों में जल्दी माहवारी को रोकने के लिए जरूरी है कि उन्हें बैलेंस्ड और नुट्रिशयस डाइट दी जाए। उनके रोज़ाना के भोजन में ग्रीन वेजटेबल्स, फ्रेश फ्रूट्स, ड्राई फ्रूट्स, प्रोटीन-रिच फूड्स और फाइबर-रिच आइटम्स शामिल करें।
बच्चों को फिजिकल एक्टिविटीज और खेलकूद के लिए प्रेरित करें, क्योंकि रेगुलर एक्सरसाइज से हार्मोन का संतुलन बना रहता है और मोटापा कंट्रोल में रहता है।
बच्चों को प्लास्टिक बॉटल्स और पैक्ड/प्रोसेस्ड फ़ूड से दूर रखें। उनकी डाइट में आर्गेनिक और केमिकल-फ्री फ़ूड आइटम्स को प्राथमिकता दें।
अगर बच्चे पढ़ाई या किसी अन्य कारण से स्ट्रेस महसूस कर रहे हैं, तो उनसे खुलकर बात करें, और यह सुनिश्चित करें कि उन्हें भरपूर रेस्ट और रिलैक्सेशन मिले।
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