Wednesday, September 17, 2025

डिजिटल अरेस्ट: सरकारी महिला डॉक्टर से 6.6 लाख की ठगी, डिजिटल अरेस्ट में हुई मौत

डिजिटल अरेस्ट: हैदराबाद से एक चौंकाने वाला साइबर क्राइम मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां 76 वर्षीय रिटायर्ड सरकारी महिला डॉक्टर को साइबर अपराधियों ने तीन दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा।

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इस दौरान न सिर्फ उनसे 6.6 लाख रुपये की ठगी की गई बल्कि लगातार मानसिक दबाव झेलने के कारण महिला को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। हैरानी की बात यह है कि पीड़िता की मौत के बाद भी स्कैमर्स मैसेज भेजते रहे।

डिजिटल अरेस्ट: व्हाट्सऐप कॉल से शुरू हुआ खेल

यह मामला 5 सितंबर को शुरू हुआ जब महिला डॉक्टर के पास व्हाट्सऐप पर एक वीडियो कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को बेंगलुरु पुलिस का अधिकारी बताया और प्रोफाइल पिक्चर में पुलिस का लोगो लगाया हुआ था।

महिला को डराने के लिए अपराधियों ने सुप्रीम कोर्ट, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मुहर लगे नकली दस्तावेज़ भी दिखाए।

स्कैमर्स ने महिला से कहा कि उसका नाम मानव तस्करी के एक मामले में सामने आया है और अगर उसने पैसे नहीं दिए तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

इस तरह का आरोप सुनकर महिला घबरा गई और कॉल करने वालों के दबाव में आ गई।

गिरफ्तारी के डर से भेजे 6.6 लाख रुपये

डरी हुई पीड़िता ने अपनी मेहनत की कमाई और पेंशन अकाउंट से 6.6 लाख रुपये अपराधियों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। मगर स्कैमर्स यहीं नहीं रुके।

उन्होंने महिला को 70 घंटे से अधिक समय तक लगातार वीडियो कॉल और मैसेज के जरिए धमकाते हुए डिजिटल अरेस्ट में रखा।

इस दौरान महिला पर लगातार मानसिक दबाव बनाया गया कि वह किसी से बात न करे और आदेश मानती रहे। इसी तनाव और भय के माहौल ने आखिरकार उनकी जान ले ली।

हार्ट अटैक से गई जान

8 सितंबर को डिजिटल अरेस्ट के करीब 70 घंटे पूरे होने के बाद महिला की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें तेज़ छाती दर्द हुआ और अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की,

लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। अगले दिन 9 सितंबर को अंतिम संस्कार के बाद परिजनों को पता चला कि उनकी माँ साइबर अपराधियों के जाल में फंसकर डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुई थीं।

मौत के बाद भी आते रहे मैसेज

चौंकाने वाली बात यह रही कि महिला के निधन के बाद भी अपराधी लगातार मैसेज भेजते रहे। इससे यह साफ है कि वे पूरी तरह ऑटोमेटेड स्क्रिप्ट और रणनीति पर काम कर रहे थे।

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट असल में साइबर अपराधियों का नया तरीका है। इसमें अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी, पुलिस या किसी बड़ी एजेंसी का अधिकारी बताकर कॉल करते हैं।

फिर पीड़ित को आरोपित कर यह कहकर डराया जाता है कि उसे गिरफ्तार किया जाएगा। इसके बाद पीड़ित को लगातार कॉल, वीडियो कॉल और मैसेज करके मानसिक रूप से “कैद” कर लिया जाता है।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारतीय कानून में “डिजिटल अरेस्ट” जैसा कोई प्रावधान ही नहीं है। यानी अगर कोई कॉल करके डिजिटल अरेस्ट की धमकी देता है तो वह निश्चित तौर पर धोखाधड़ी है।

ऐसे मामलों से बचने के उपाय

  • डिजिटल अरेस्ट का झांसा न खाएं: यह पूरी तरह से फर्जी है। भारत के कानून में इसका कोई अस्तित्व नहीं है।
  • कॉल की सच्चाई परखें: अगर कोई व्यक्ति खुद को सरकारी अधिकारी बताता है तो उसका नाम, पद और विभाग जानें और आधिकारिक माध्यम से उसकी पुष्टि करें।
  • संवेदनशील जानकारी साझा न करें: किसी भी अनजान कॉल, ईमेल या मैसेज पर अपनी निजी जानकारी या बैंक डिटेल साझा न करें।
  • पैसे ट्रांसफर करने से पहले सोचें: अगर कोई व्यक्ति दबाव डालकर पैसे मांगता है तो समझ लें कि वह धोखाधड़ी है।
  • तुरंत शिकायत करें: साइबर अपराध से जुड़े किसी भी मामले में तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं।
Madhuri Sonkar
Madhuri Sonkarhttps://reportbharathindi.com/
ETV Bharat में एक साल ट्रेनिंग कंटेंट एडिटर के तौर पर काम कर चुकी हैं। डेली हंट और Raftaar News में रिपोर्टिंग, V/O का अनुभव। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और बॉलीवुड न्यूज पर अच्छी पकड़।
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