दिल्ली हत्याकांड: दिल्ली के तिमारपुर इलाके में हुए यूपीएससी कैंडिडेट रामकेश मीणा की हत्या का मामला अब सिर्फ एक अपराध नहीं,
बल्कि एक ऐसा रहस्य बन गया है जो आधुनिक समाज के सबसे गहरे अंधेरों को उजागर कर रहा है।
शुरुआती तौर पर इसे एक सामान्य हत्या माना जा रहा था, लेकिन जब दिल्ली पुलिस को मृतक के घर से एक हार्ड डिस्क मिली, तो पूरा केस पलट गया।
इस हार्ड डिस्क ने रामकेश मीणा की असली छवि सामने रख दी एक ऐसी छवि, जो बाहर से मेधावी, लेकिन भीतर से गंदी मानसिकता से भरी थी।
दिल्ली हत्याकांड: 15 महिलाओं के अश्लील वीडियो
पुलिस की जांच में सामने आया है कि उस हार्ड डिस्क में करीब 15 अलग-अलग महिलाओं के अश्लील वीडियो मिले हैं।
फॉरेंसिक टीम की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कई वीडियो बिना महिलाओं की जानकारी के रिकॉर्ड किए गए प्रतीत हो रहे हैं।
यह वही खुलासा है जिसने पुलिस की दिशा पूरी तरह बदल दी है। अब यह जांच सिर्फ एक हत्या तक सीमित नहीं रही,
बल्कि यह आईटी एक्ट, ब्लैकमेलिंग और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराधों के घेरे में पहुंच चुकी है।
अमृता के वीडियो किया रिकॉर्ड
मामले की मुख्य आरोपी अमृता सिंह चौहान, जो खुद फॉरेंसिक साइंस की छात्रा है, ने पुलिस पूछताछ में जो स्वीकारोक्ति दी, उसने पूरे केस को नई दिशा दे दी।
अमृता ने कबूल किया कि रामकेश ने उसके निजी वीडियो और तस्वीरें उसकी जानकारी के बिना रिकॉर्ड किए थे। उसने कई बार उससे विनती की कि वह वे वीडियो डिलीट कर दे,
लेकिन रामकेश ने मना कर दिया। अमृता के मुताबिक, उसे डर था कि रामकेश किसी दिन उन वीडियो को वायरल कर देगा या उसे ब्लैकमेल करेगा।
यही डर उसके अंदर धीरे-धीरे गुस्से में बदल गया और उसने अपने दो दोस्तों सुमित कश्यप और संदीप कुमार के साथ मिलकर हत्या की साजिश रच डाली।
तीनों ने रामकेश को किया बेहोश
हत्या की योजना बेहद खौफनाक थी। तीनों ने पहले रामकेश को बेहोश किया, फिर उसकी हत्या कर दी।
इसके बाद उन्होंने पूरी वारदात को दुर्घटना दिखाने के लिए शव को जलाने की कोशिश की। तेल, घी और शराब डालकर उन्होंने आग लगाई और रसोई गैस सिलेंडर का वाल्व खोल दिया ताकि विस्फोट से सबूत मिट जाएं।
लेकिन अपराध की आग ने सच को नहीं छिपाया। पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो घर की राख में दबे डिजिटल सबूतों ने पूरी कहानी खोल दी।
फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया
घटनास्थल से मिले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों लैपटॉप, पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया।
सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस ने पाया कि हत्या वाली रात अमृता और दो युवक उसी मकान में आते-जाते दिखे थे।
फुटेज में उनकी हरकतें संदिग्ध थीं, जिसके बाद पुलिस ने तीनों को हिरासत में लिया। पूछताछ में अमृता का चेहरा टूट गया और उसने सबकुछ स्वीकार कर लिया।
अब पुलिस यह जांच कर रही है कि हार्ड डिस्क में दिख रही अन्य 15 महिलाओं की पहचान क्या है और क्या वे भी इसी तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार थीं।
यदि यह साबित हो जाता है कि वीडियो बिना सहमति के रिकॉर्ड किए गए थे, तो भले ही रामकेश अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके खिलाफ आईटी एक्ट और महिलाओं की गरिमा भंग करने के मामलों में अलग से कार्रवाई की जा सकती है।
यह भी शक जताया जा रहा है कि वह इन वीडियो का इस्तेमाल किसी रैकेट या ब्लैकमेलिंग नेटवर्क में करता था।
रामकेश के ऊपर खड़े हुए सवाल
रामकेश मीणा, जो यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, अपने परिचितों के बीच एक गंभीर, महत्वाकांक्षी और मेधावी छात्र के रूप में जाना जाता था, लेकिन हार्ड डिस्क में मिले वीडियो ने इस छवि को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है।
यह केस समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या पढ़ाई और प्रतियोगिता की दुनिया में आगे बढ़ने की चाहत ने युवाओं के नैतिक मूल्यों को खत्म कर दिया है?
इस केस ने यह भी दिखाया है कि डिजिटल युग में अपराध अब बंदूक या चाकू से नहीं, बल्कि डेटा और स्क्रीन के जरिए किए जा रहे हैं।
कैमरे और फाइलें अब नए हथियार बन गए हैं। हार्ड डिस्क में छिपे ये वीडियो अब केवल सबूत नहीं, बल्कि उस समाज की सच्चाई हैं जहां निजता का कोई अर्थ नहीं रह गया है।
दिल्ली पुलिस की जांच अब केवल तकनीकी सबूतों तक सीमित नहीं है। टीम बैंक ट्रांजेक्शन, सोशल मीडिया चैट्स, कॉल रिकॉर्ड और ईमेल हिस्ट्री की भी पड़ताल कर रही है।
यदि कोई लिंक किसी आर्थिक लेन-देन या वीडियो ट्रांसफर से जुड़ा मिला, तो यह केस ऑल इंडिया साइबर क्राइम यूनिट तक जा सकता है।
रामकेश मीणा मर्डर केस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अपराध चाहे जितनी साजिश से ढका जाए, सच एक दिन राख से भी बाहर आ ही जाता है।
यह हत्या सिर्फ एक प्रेम प्रसंग का अंत नहीं, बल्कि उस डिजिटल युग की चेतावनी है जहां रिश्ते रिकॉर्ड होते हैं, और जब विश्वास टूटता है तो कैमरा गवाही बन जाता है।

