Delhi: देश की राजधानी दिल्ली, जहां आधुनिकता और सुरक्षा की बातें होती हैं, आज वही शहर बच्चों के लिए सबसे असुरक्षित जगहों में शामिल होता जा रहा है।
दिल्ली पुलिस के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि साल 2025 के पहले पांच महीनों में कुल 543 बाल यौन शोषण के केस दर्ज हुए, जिनमें से 697 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
यानी औसतन हर दिन चार से पांच नए मामले सामने आ रहे हैं और ये सिर्फ दर्ज हुए मामलों की संख्या है।
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अधिकांश अपराध घर के आसपास के लोगों द्वारा
Delhi: इन मामलों की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर अपराध पीड़ित के जान-पहचान वालों द्वारा किए गए।
पड़ोसी, रिश्तेदार या कभी-कभी घर के ही सदस्य ऐसे घिनौने अपराधों को अंजाम दे रहे हैं।
पुलिस के अनुसार, अपराधी बच्चों को पहले बहला-फुसलाकर अलग जगह ले जाते हैं, फिर अपराध को अंजाम देते हैं।
और चूंकि ये लोग घर के परिचित होते हैं, परिवारों को उन पर तुरंत शक भी नहीं होता।
‘लोक-लाज’ के डर से दर्ज नहीं होतीं कई शिकायतें
Delhi: दिल्ली पुलिस का कहना है कि ऐसे मामलों में सबसे बड़ी चुनौती होती है परिवारों की चुप्पी।
कई माता-पिता सामाजिक बदनामी या आरोपी से संबंध के कारण शिकायत दर्ज ही नहीं कराते, या दर्ज करने के बाद वापस ले लेते हैं।
इस वजह से असली आंकड़े कहीं ज्यादा हो सकते हैं। छोटी उम्र के बच्चों, खासकर 4 से 5 साल के, मामलों में जांच और बयान दर्ज करना और भी मुश्किल हो जाता है।
सोशल मीडिया भी बना अपराधियों का नया हथियार
Delhi: अब अपराध केवल भौतिक दुनिया तक सीमित नहीं हैं। पुलिस ने बताया है कि सोशल मीडिया पर भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं।
कई मामलों में अज्ञात लोग बच्चों से दोस्ती कर उन्हें झांसे में लेते हैं, फिर उनके निजी फोटो या वीडियो रिकॉर्ड कर ब्लैकमेल करते हैं, और आगे चलकर यौन शोषण की घटनाएं घटती हैं।
दिल्ली जैसे शहर में जहां कानून व्यवस्था पर करोड़ों खर्च होते हैं, वहां हर दिन बच्चों के साथ यौन अपराध की खबरें आना एक खतरनाक संकेत है।