Delhi: दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना शाबान बुखारी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के सांसद और लोकप्रिय गायक-नेता मनोज तिवारी से मिले। यह मुलाकात न सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर सौहार्दपूर्ण रही, बल्कि सोशल मीडिया पर भी एक सकारात्मक संदेश के रूप में सामने आई।
Delhi: मनोज तिवारी ने की मुलाकात
मौलाना शाबान बुखारी ने इस मुलाकात का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया, जिसमें दोनों एक दोस्ताना माहौल में बातचीत करते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में मनोज तिवारी मुस्कुराते हुए कहते हैं, “हम तो बिल्कुल मस्त हैं इधर फोटो खींचो!” और फिर आगे पूछते हैं, “सब कुछ ठीक तो है न?” इन संवादों के ज़रिए दोनों शख्सियतों के बीच गर्मजोशी और पारस्परिक सम्मान स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
मौलाना ने शेयर की वीडियो
मौलाना शाबान बुखारी ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा, “मनोज तिवारी से मिलना हमेशा खुशी देता है।” यह कथन न केवल उनकी आपसी आत्मीयता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि धर्म और राजनीति के विभाजनों के बीच भी संवाद और सद्भाव की गुंजाइश बनी रहती है।
यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ और लोगों ने इसे व्यापक रूप से शेयर किया। मौलाना के इंस्टाग्राम पर लगभग डेढ़ लाख फॉलोअर्स हैं और वे वहां काफी सक्रिय रहते हैं। वे न सिर्फ धार्मिक मामलों पर, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय विषयों पर भी नियमित रूप से अपनी राय व्यक्त करते हैं।
पीएम मोदी से मिलने की इच्छा जताई
हाल ही में मौलाना ने अपने बेटे सैयद अरीब बुखारी का एक वीडियो भी इंस्टाग्राम पर साझा किया था, जिसने सोशल मीडिया पर खासा ध्यान खींचा। इस वीडियो में अरीब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “अंकल मोदी” कहते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए आभार प्रकट किया। उसने यह भी बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने उसे मानसिक रूप से व्यथित कर दिया था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने उसे आश्वस्ति दी।
अरीब ने पीएम मोदी से मिलने की इच्छा भी जताई और कहा कि वह उनके साथ एक फोटो लेना चाहता है। इस बयान को सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिला और कई लोगों ने इसे एक नई पीढ़ी की सोच का प्रतिबिंब बताया।
जामा मस्जिद के शाही इमाम
मौलाना शाबान बुखारी 25 फरवरी, 2025 को आधिकारिक रूप से दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम बने। यह जिम्मेदारी उन्हें उनके पिता और पूर्व शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बाद मिली। अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही शाबान बुखारी ने पारंपरिक भूमिका को आधुनिक संदर्भ में ढालने का प्रयास किया है।
वे न केवल धार्मिक विषयों पर गंभीर दृष्टिकोण रखते हैं, बल्कि देश की सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों पर भी मुखर होकर बोलते हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर उनका खुला समर्थन इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो यह दर्शाता है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों पर भी स्पष्ट और संतुलित रुख अपनाते हैं।