लाल किला धमाका: दिल्ली के लाल किले के पास हुए भयंकर धमाके की जांच में अब नया मोड़ सामने आया है। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि कार में मौजूद व्यक्ति वही आतंकी डॉ. उमर मोहम्मद था, जो पहले से ही एजेंसियों के रडार पर था। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से मिले शव के अंशों को डीएनए जांच के लिए भेजा है।
लाल किला धमाका: फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़ा था उमर
लाल किला धमाका: प्रारंभिक जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ है कि धमाके को अंजाम देने वाला आतंकी फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़ा था। बताया जा रहा है कि मॉड्यूल के खुलासे के बाद उमर गिरफ्तारी के डर से फरीदाबाद से भाग निकला और दिल्ली पहुंच गया। एजेंसियों को शक है कि उसने घबराहट और जल्दबाज़ी में यह विस्फोट किया।
सूत्रों के अनुसार, जब फरीदाबाद में आतंकियों का नेटवर्क उजागर हुआ, उस वक्त उमर वहीं आसपास के इलाके में था। जैसे ही उसे एजेंसियों की कार्रवाई की भनक लगी, उसने दिल्ली का रुख किया और अपने साथ विस्फोटक सामग्री लेकर लाल किले के पास पहुंच गया।
माना जा रहा है कि गिरफ्तारी से पहले अपने आकाओं को यह दिखाने के लिए कि वह अब भी सक्रिय है, उसने धमाका कर दिया।
लाल किला धमाका: धमाके से पहले का सीसीटीवी फुटेज और कार की जानकारी
लाल किला धमाका: जांच में सामने आया है कि धमाके से कुछ मिनट पहले एक काले मास्क वाला व्यक्ति कार में बैठते हुए दिखाई देता है। एजेंसियों का मानना है कि वही उमर था। धमाका आई-20 कार में हुआ था, जिसका पिछला हिस्सा उड़ गया। पुलिस के मुताबिक, पीछे ही विस्फोटक छिपाया गया था।
सबसे अहम बात यह है कि धमाके की जगह न तो सड़क पर कोई बड़ा गड्ढा बना और न ही मृतकों के शरीर काले पड़े। इससे यह संकेत मिलता है कि विस्फोटक आईईडी (IED) को बहुत ही सटीक तरीके से फिट किया गया था।
लाल किला धमाका: चार दिन पहले खरीदी गई थी कार
लाल किला धमाका: धमाके में इस्तेमाल की गई आई-20 कार सिर्फ चार दिन पहले ही फरीदाबाद के सेक्टर 37 स्थित रॉयल कार ज़ोन नामक डीलरशिप से खरीदी गई थी। इस डीलर सोनू ने ओएलएक्स पर कार की बिक्री का विज्ञापन डाला था, जिसके बाद यह कार एक अज्ञात व्यक्ति को बेची गई।
फरीदाबाद पुलिस ने सोनू को हिरासत में लेकर दिल्ली स्पेशल सेल के हवाले कर दिया है।
गुरुग्राम में रजिस्टर्ड, सात बार बिक चुकी कार
पुलिस की जांच में पता चला है कि धमाके वाली कार गुरुग्राम नॉर्थ आरटीओ में रजिस्टर्ड थी और यह कार पिछले एक साल में सात बार बेची जा चुकी है। इससे यह साफ है कि कार की ट्रैकिंग मुश्किल बनाने के लिए बार-बार मालिक बदले गए थे। एजेंसियों को शक है कि कार की बिक्री में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया।
डीएनए रिपोर्ट से खुलेगा राज
धमाके के बाद कार के अंदर से मिले शव के चीथड़ों को डीएनए जांच के लिए भेजा गया है। फॉरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आती, तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि मारा गया व्यक्ति वास्तव में डॉ. उमर मोहम्मद ही था या नहीं।
दिल्ली-एनसीआर में उमर के नेटवर्क की तलाश
लाल किला धमाका: सुरक्षा एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि उमर दिल्ली आने के बाद किन लोगों के संपर्क में था और क्या उसे किसी स्थानीय नेटवर्क से मदद मिली थी। एनआईए, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और फॉरेंसिक टीमें मिलकर कॉल डिटेल, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन और इलेक्ट्रॉनिक डेटा खंगाल रही हैं।
अधिकारियों का मानना है कि यह विस्फोट सुनियोजित आतंकी साजिश का हिस्सा था, हालांकि हड़बड़ी में इसे अंजाम दिया गया। सुरक्षा एजेंसियां इस मॉड्यूल की सभी कड़ियों को जोड़ने में जुटी हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि उमर अकेला था या उसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क अब भी सक्रिय है।

