Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले से एक बेहद चिंताजनक और दुखद मामला सामने आया है। यहां पलारी ब्लॉक के लछनपुर गांव के शासकीय मिडिल स्कूल में बच्चों को कथित रूप से कुत्ते के जूठे खाने का मीड-डे मील परोस दिया गया।
जब स्कूल में भोजन तैयार किया जा रहा था और उसी दौरान एक आवारा कुत्ता सब्जी में मुंह मार गया।
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Chhattisgarh: 84 बच्चों को खिलाया कुत्ते का जूठा
बच्चों ने जब यह देखा तो तुरंत स्कूल की शिक्षिकाओं को बताया। टीचर्स ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए खाना परोसने से साफ मना कर दिया और इस बात की जानकारी खाना बनाने वाली जय स्व सहायता महिला समूह की महिलाओं को दी,
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि महिलाओं ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया और कहा कि कुत्ते ने सब्जी को जूठा नहीं किया है। इसके बाद 84 बच्चों को वही सब्जी परोस दी गई।
78 बच्चों को लगा एंटी रेबीज
बच्चों ने जब यह बात अपने माता-पिता को बताई तो परिजन गुस्से में स्कूल पहुंचे और स्कूल प्रशासन से इस लापरवाही पर सवाल किए।
गांव के अन्य लोग भी बच्चों के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार से आक्रोशित हो गए और स्कूल में हंगामा शुरू हो गया।
बच्चों को तुरंत नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां 78 बच्चों को एंटी रेबीज इंजेक्शन का एक-एक डोज लगाना पड़ा, ताकि किसी भी संक्रमण या खतरे से उन्हें बचाया जा सके।
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
इस मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासन भी हरकत में आया। शनिवार को बलौदाबाजार एसडीएम दिनेश निकुंज, बीईओ नरेश वर्मा और अन्य शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल पहुंचे। उन्होंने मौके पर पहुंचकर बच्चों, अभिभावकों, शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के बयान दर्ज किए।
अधिकारियों ने यह भी कहा कि अभी स्व सहायता समूह की महिलाओं से पूछताछ नहीं हुई है, लेकिन जांच पूरी होने के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच स्थानीय विधायक संदीप साहू भी इस मामले में सामने आए। उन्होंने स्कूल का दौरा किया, बच्चों और स्कूल प्रबंधन से बात की और पूरे मामले की विस्तृत जानकारी ली।
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि बच्चों को एंटी रेबीज इंजेक्शन देने का फैसला किसने और किसके आदेश पर लिया?
इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।
यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि बच्चों की सेहत और सुरक्षा को लेकर कितनी गैरजिम्मेदारी दिखाई गई।
मिड-डे मील जैसी योजना, जो बच्चों को पोषण देने के लिए चलाई जाती है, अगर इस तरह की लापरवाही की भेंट चढ़ेगी तो उसका उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।