Thursday, December 25, 2025

Chhattisgarh: धर्मांतरण और नक्सलवाद सबसे बड़ी समस्या, जब नक्सलवादियों पर करनी थी कार्रवाई तो कांग्रेस खुलवा रही थी चर्च

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की राजनीति इन दिनों एक नए मोड़ पर है, जहां आदिवासी समाज के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की खुलकर सराहना करते हुए उसे बस्तर में धर्मांतरण रोकने के लिए एकमात्र सक्षम संस्था बताया है।

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Chhattisgarh: सियासी गलियारों में हलचल

नागपुर में RSS के प्रशिक्षण शिविर में दिए गए इस बयान ने न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी बगावती सुर छेड़ दिए हैं। अरविंद नेताम, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक हैं और चार बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं।

उन्होंने संघ के कार्यक्रम में कहा, “बस्तर में सबसे बड़ी समस्या धर्मांतरण की है, जिसे किसी भी सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। सरकारें आती जाती रहीं, लेकिन इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं हुए। मैंने देखा कि केवल संघ ही इस दिशा में लगातार काम कर रहा है, इसलिए मैं चाहता हूं कि आदिवासी समाज और संघ मिलकर काम करें।”

कांग्रेस खेमे में बेचैनी

नेताम का यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में भाजपा की सरकार है और कांग्रेस विपक्ष में है। नेताम के इस कदम से कांग्रेस खेमे में बेचैनी फैल गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने आरएसएस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “RSS कभी आदिवासियों की हितैषी नहीं रही।

नेताम हमेशा आदिवासियों की बात करते थे, लेकिन अब उनकी भाषा बदल गई है। यह साफ दिख रहा है कि वो अब संघ की भाषा बोल रहे हैं।”

आदिवासी समाज को जागरूक करने की आवश्यकता

दीपक बैज ने आगे कहा कि धर्मांतरण रोकना सरकार का काम है, न कि संघ का। आदिवासी समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है, न कि संघ की विचारधारा को थोपने की। उन्होंने आरोप लगाया कि नेताम बस्तर में संघ को बुलावा देने गए हैं, लेकिन बस्तर की जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी।

आरक्षण बिल आज भी राजभवन में लंबित

बैज ने कहा कि नेताम अगर सचमुच आदिवासियों के हित की बात करना चाहते तो जल, जंगल और जमीन पर बात करते। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार खनिज संसाधनों को उद्योगपतियों के हाथों बेच रही है।

नेताम को संघ के मंच से इस पर सवाल उठाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान पारित आरक्षण बिल आज भी राजभवन में लंबित है, नेताम को उस पर भी आवाज उठानी चाहिए थी।

कार्रवाई के टाइम कांग्रेस खुलवा रही थी चर्च

इधर, कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री केदार कश्यप ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा, “दीपक बैज ने पांच साल बस्तर में चर्च खुलवाने में लगा दिए। जब कार्रवाई करनी थी, तब कांग्रेस चुप रही।

अवैध धर्मांतरण पर कांग्रेस हमेशा दोहरी नीति अपनाती रही है। संघ तो वर्षों से राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक समरसता के लिए काम कर रहा है।” कश्यप ने नेताम के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उनका दर्द वास्तविक है।

नक्सलवाद और धर्मांतरण से जूझ रहे बस्तर को अब स्पष्ट दिशा और समर्थन की आवश्यकता है, और संघ इस दिशा में ईमानदारी से काम कर रहा है।

सरकारों में मंत्री रह चुके नेताम

अरविंद नेताम का यह बयान इसलिए भी खास है क्योंकि वे केवल राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की एक बड़ी आवाज हैं। इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव की सरकारों में मंत्री रह चुके नेताम ने 1996 में कांग्रेस छोड़ी थी, फिर 1998 में वापसी की।

2012 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में पीएम संगमा का समर्थन किया, जिसके बाद उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया। हालांकि 2018 में उन्होंने फिर से पार्टी में प्रवेश किया। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने ‘हमर राज पार्टी’ बनाई, जो छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज की राजनीतिक शाखा है।

आदिवासी राजनीति अब एक नए दौर में

नेताम का RSS के मंच पर जाना और धर्मांतरण को राष्ट्रीय मुद्दा बनाना इस बात की ओर संकेत करता है कि बस्तर में आदिवासी राजनीति अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है। यह मुद्दा न केवल धर्म के सवाल को उठाता है, बल्कि आदिवासी अस्मिता, आरक्षण, खनिज संपदा की लूट और आदिवासी क्षेत्रों में बाहरी हस्तक्षेप के बड़े प्रश्नों को भी सामने लाता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेताम का यह बयान आदिवासी समाज में एक नई बहस को जन्म देगा क्या आदिवासी हितों की रक्षा अब राजनीतिक दलों से नहीं बल्कि वैकल्पिक संगठनों से होगी? क्या आदिवासी नेतृत्व अब संघ के साथ एक नई साझेदारी की ओर बढ़ रहा है?

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल

फिलहाल इतना तय है कि नेताम का यह बयान केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि रणनीतिक भी है, जिसकी गूंज आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकती है। विपक्ष की नज़र में यह एक वैचारिक विचलन है, लेकिन सत्ता पक्ष इसे एक साहसिक पहल के रूप में देख रहा है।

बस्तर गंभीर संकटों से जूझ रहा

बस्तर, जो नक्सलवाद और धर्मांतरण जैसे गंभीर संकटों से जूझ रहा है, वहां किसी भी समाधान के लिए सामाजिक और वैचारिक एकजुटता जरूरी है। ऐसे में नेताम का संघ से सहयोग की अपील एक नई राजनीतिक धारा को जन्म दे सकती है।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि बस्तर की जनता इस साझेदारी को स्वीकार करती है या विरोध करती है।

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Madhuri
Madhurihttps://reportbharathindi.com/
पत्रकारिता में 6 वर्षों का अनुभव है। पिछले 3 वर्षों से Report Bharat से जुड़ी हुई हैं। इससे पहले Raftaar Media में कंटेंट राइटर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्य किया। Daily Hunt के साथ रिपोर्टर रहीं और ETV Bharat में एक वर्ष तक कंटेंट एडिटर के तौर पर काम किया। लाइफस्टाइल, इंटरनेशनल और एंटरटेनमेंट न्यूज पर मजबूत पकड़ है।
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