Delhi Blast: आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के फरीदाबाद-सहारनपुर मॉड्यूल की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है।
सुरक्षा एजेंसियों ने पाया है कि आरोपी डॉक्टर मुज़म्मिल और डॉक्टर उमर अपने पाकिस्तानी हैंडलरों से बात करने के लिए एक बेहद गुप्त एनक्रिप्टेड मैसेंजर ऐप “सेशन” का इस्तेमाल करते थे।
इस ऐप की खासियत यह है कि इसे इस्तेमाल करने के लिए मोबाइल नंबर की जरूरत नहीं होती।
इसमें किसी भी यूजर की चैट या मेटाडेटा सेव नहीं होता, जिससे एजेंसियों के लिए बातचीत को ट्रेस करना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
Delhi Blast: सेशन ऐप के जरिए हैंडलर से संपर्क
सूत्रों के मुताबिक, डॉक्टर मुज़म्मिल ने पूछताछ में बताया कि जैश से जुड़ने के शुरुआती दिनों में वह ‘अबू उकसा’ नाम के एक हैंडलर से संपर्क में था।
यह हैंडलर तुर्की के वर्चुअल नंबर (+90 सीरीज़) का इस्तेमाल करता था।
शुरुआत में अबू उकसा ने व्हाट्सएप पर बात करने को कहा, लेकिन बाद में उसने सुरक्षा कारणों से बातचीत को “सेशन ऐप” पर शिफ्ट कर दिया ताकि एजेंसियों को इसकी भनक न लगे।
यह ऐप पूरी तरह से सुरक्षित चैटिंग के लिए बनाया गया है और इसमें बातचीत किसी सर्वर पर सेव नहीं होती।
इसी कारण से इसे कई आतंकी संगठन और साइबर अपराधी गुप्त संचार के लिए इस्तेमाल करते हैं।
तुर्की में हैंडलर से गुप्त मुलाकात
साल 2022 में डॉक्टर मुज़म्मिल और डॉक्टर उमर दोनों तुर्की गए थे। जांच में सामने आया कि दोनों वहीं अपने जैश के हैंडलर अबू उकसा और उसके सहयोगियों से मिले थे।
पूछताछ में डॉक्टर मुज़म्मिल ने कबूला कि तुर्की की लोकेशन इसलिए चुनी गई थी ताकि भारत की एजेंसियों को शक न हो।
अगर वे पकड़े भी जाते, तो पाकिस्तान या जैश का सीधा लिंक सामने नहीं आता क्योंकि हैंडलर तुर्की के वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल कर रहा था।
इस मुलाकात के दौरान उन्हें भारत में जैश का नेटवर्क फैलाने के लिए खास जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं।
टेलीग्राम ग्रुप से भी जुड़ा था मॉड्यूल
जांच एजेंसियों को पता चला है कि डॉक्टरों वाला यह मॉड्यूल दो टेलीग्राम ग्रुप ‘उमर बिन ख़िताब’ और ‘फ़र्ज़ान दारुल उललूम’ से जुड़ा हुआ था।
इन ग्रुपों में जैश-ए-मोहम्मद और मौलाना मसूद अजहर के भाषण, जिहाद को बढ़ावा देने वाली पोस्ट और आतंक समर्थक सामग्री शेयर की जाती थी।
एजेंसियों का मानना है कि इन्हीं ग्रुपों के माध्यम से दोनों डॉक्टरों का डिजिटल ब्रेनवॉश किया गया था ताकि वे आतंक की राह पर चलें।
हाइब्रिड आतंकी मॉडल से बढ़ी चिंता
डॉक्टर मुज़म्मिल और डॉक्टर उमर दोनों पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन जैश ने इन्हें “हाइब्रिड आतंकियों” की तरह इस्तेमाल किया।
यानी बाहर से पढ़े-लिखे और सामान्य लोग, लेकिन अंदर से आतंकी मिशन पर काम करने वाले।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह नया मॉडल बेहद खतरनाक है क्योंकि आतंकवादी संगठन अब शिक्षित युवाओं को निशाना बनाकर अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं।
एजेंसियां जुटीं डिजिटल सबूतों की तलाश में
जांच टीमें अब सेशन ऐप और टेलीग्राम चैट्स के जरिए डिजिटल सबूत जुटाने में लगी हैं। हालांकि, सेशन ऐप की सुरक्षा तकनीक के कारण चैट ट्रैक करना मुश्किल है।
एजेंसियां विदेशी साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि अबू उकसा असल में कौन है और उसका सीधा संबंध पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क से कैसे है।

