Canada-India Relations: G7 यानी ग्रुप ऑफ सेवन, दुनिया के सात सबसे विकसित और लोकतांत्रिक औद्योगिक देशों का अनौपचारिक समूह है। इसमें अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
ये देश हर साल मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी विकास, सुरक्षा और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
भारत इस समूह का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन 2019 से भारत को हर साल गेस्ट कंट्री यानी ‘विशेष अतिथि’ के रूप में आमंत्रित किया जाता रहा है।
यह तय करने का अधिकार हमेशा मेजबान देश के पास होता है, जो उस साल शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करता है।
2025 में कनाडा बना मेजबान, पीएम मोदी को मिला निमंत्रण
Canada-India Relations: इस साल G7 समिट 15 से 17 जून के बीच कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में आयोजित हो रहा है।
कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर इस सम्मेलन में शामिल होने का औपचारिक न्योता दिया, जिसे पीएम मोदी ने स्वीकार भी कर लिया।
इस आमंत्रण को सिर्फ औपचारिक निमंत्रण नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका और प्रभाव के बढ़ते महत्व के तौर पर देखा जा रहा है।
राजनीतिक विवाद और विपक्ष की प्रतिक्रिया
Canada-India Relations: निमंत्रण में थोड़ी देरी को लेकर भारत में राजनीतिक विवाद भी हुआ। कुछ विपक्षी नेताओं ने सरकार से सवाल पूछे कि क्या भारत को जानबूझकर G7 से बाहर रखा गया है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत समेत कई नेताओं ने यह मुद्दा उठाया। कुछ पोर्टलों पर भी ऐसी खबरें आईं कि इस बार भारत को आमंत्रित नहीं किया गया।
लेकिन जैसे ही कनाडा के पीएम की ओर से मोदी जी को कॉल कर निमंत्रण दिया गया, इन सभी अटकलों पर विराम लग गया।
यह दर्शाता है कि कभी-कभी राजनीतिक आलोचना अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी के बिना की जाती है।
कनाडा-भारत संबंधों में नई शुरुआत का संकेत
Canada-India Relations: यह बात भी उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष कनाडा और भारत के रिश्तों में खटास आई थी।
कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि भारत का हाथ खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में हो सकता है। ]
भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज किया और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव आ गया था।
अब मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा की नई सरकार ने पीएम मोदी को आमंत्रित कर यह संकेत दिया है कि कनाडा अतीत की कड़वाहट को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ना चाहता है।
जानें क्यों G7 भारत को इग्नोर नहीं कर सकता?
Canada-India Relations: भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। साथ ही, यह दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था भी है।
आज भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (global supply chains) का एक अहम केंद्र बन चुका है।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और खनिज संसाधनों जैसे मुद्दों पर चर्चा में भारत की भागीदारी बेहद जरूरी है।
भले ही दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर असहमति हो, लेकिन भारत को नज़रअंदाज़ करना G7 जैसे मंच के लिए मुमकिन नहीं है।
G7 क्या है और इसमें रूस क्यों नहीं है?
Canada-India Relations: G7 की शुरुआत 1975 में हुई थी। शुरुआत में यह छह देशों का समूह था—अमेरिका, फ्रांस, इटली, जापान, ब्रिटेन और पश्चिमी जर्मनी।
1976 में कनाडा भी इससे जुड़ गया। यह समूह वैश्विक आर्थिक संकटों पर चर्चा के लिए बना था।
1998 में रूस भी इसका हिस्सा बना और G7 से G8 बना। लेकिन 2014 में रूस के द्वारा क्रीमिया पर कब्ज़ा करने के बाद उसे समूह से अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया।
भारत का G7 में ऐतिहासिक योगदान
Canada-India Relations: भारत ने 2019 के बाद से लगातार चार बार G7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया है।
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी पांच बार G7 (या तब के G8) सम्मेलन में हिस्सा ले चुके हैं।
हर बार भारत को आमंत्रित किए जाने की प्रक्रिया यही दर्शाती है कि G7 भारत की भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक ताकत को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।
भारत को G7 में बुलाना वैश्विक मंचों पर उसकी स्वीकार्यता का प्रमाण है
भारत भले ही G7 का स्थायी सदस्य न हो, लेकिन उसकी वैश्विक महत्ता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।