Thursday, November 21, 2024

क्या टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल से हो सकता है कैंसर? यहाँ जाने

तेज़ी से हो रहे विकास और आधुनिकता की होड़ में हम टॉयलेट पेपर का प्रयोग बड़े पैमाने पर कर रहे है। पानी बचाने और साफ-सफाई रखने में यह एक अच्छी प्रक्रिया है। मगर इसको बनाने में इस्तेमाल होने वाला केमिकल काफी खतरनाक और जेह्रीला होता है।

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आज के इस बदलते ज़माने में हम लोग कई चीज़े वेस्टर्न कल्चर से अपना रहे है जो अच्छी बात है मगर इसमें कई चीज़े ऐसी भी है जो नुकसान दे सकती है। जिसमे से एक है टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल। भारत में टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल होता था,मगर वहीँ वेस्टर्न कल्चर में टॉयलेट पेपर यूज करना अधिक हयजीनिक समझते हैं। यहाँ तक कि अब तो भारत में ही कई लोग अपने घरो में भी इसका इस्तेमाल करने लगे है। लेकिन क्या टॉयलेट पेपर यूज करना नुकसानदायक तो नहीं। आज हम आपको इसी बारे में बताएँगे।

आप जिस टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करना एक हाई स्टैण्डर्ड कि बात समझते है, दरअसल वही आपके लिए नुकसानदायक सभी हो सकता है। जी हां, इसका प्रयोग करने से आपको कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है, जैसे :

यूटीआई की समस्या

टॉयलेट पेपर की स्मेल काफी अच्छी होती है, लेकिन यही स्मेल आपके प्राइवेट पार्ट्स के लिए घातक साबित हो सकती है। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया, इसे बनाने में कई तरह के केमिकल्स का इस्तेमाल होता है, जो आपके प्राइवेट पार्ट्स को नुकसान पहुंचा सकती है। इसकी वजह से योनि क्षेत्र में बैक्टीरिया और यीट इन्फेक्शन की परेशानी हो सकती है।

बवासीर कि समस्या

टॉयलेट पेपर को रोजाना इस्तेमाल करने से बवासीर की समस्या उत्पन हो सकती है। वहीं, अगर किसी को पहले से ही यह परेशानी है, तो इस स्थिति में इसका प्रयोग करना और नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए कोशिश करें कि सफाई के लिए जेट स्प्रे का प्रयोग करें।

हो सकते हैं रैशेज

अगर आप हमेशा टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं, तो इसकी वजह से आपके प्राइवेट पार्ट्स में रैशेज की परेशानी हो सकती है। दरअसल, प्राइवेट पार्ट्स की स्किन काफी ज्यादा सेंसटिव होती है, ऐसे में पेपर को रगड़ने से स्किन पर रैशेज होने की संभावना बढ़ जाती है।

इसके अलावा कई लोग इसका इस्तेमाल करने के बाद उसे फ्लश करते हैं जिससे ये खतरनाक केमिकल वाला टॉयलेट पेपर नदी या नालों में जाकर पानी को जहरीला का देते हैं। दरअसल अमेरिका में हुई एक रिसर्च के अनुसार पेपर 14 हजार प्रकार के फॉरेवर केमिकल के जरिये तैयार होता है। जो पानी में मिलने के बाद पानी को जेह्रीला कर देता है जिससे कैंसर, यकृत रोग, हृदय रोग और भ्रूण की जटिलताओं संबंधी बीमारी हो सकती है।

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