Boycott Turkey: ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष ने केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति के स्तर पर भी नई हलचल पैदा कर दी है। इस संघर्ष के दौरान तुर्की और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर समर्थन जताने से भारतीय जनता में तीव्र आक्रोश देखा जा रहा है। नतीजतन, देशभर में ‘Boycott Turkey’ यानी ‘तुर्की का बहिष्कार’ अभियान ने तेजी पकड़ ली है।
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Boycott Turkey: टर्किश प्रोडक्ट्स और एयरलाइनों का हो रहा बहिष्कार
Boycott Turkey: भारत में आम नागरिक से लेकर बड़े कारोबारी वर्ग तक इस मुहिम को खुलकर समर्थन दे रहे हैं। टर्किश चॉकलेट, कपड़े, फल, फर्नीचर से लेकर टर्किश एयरलाइंस तक – सबका बहिष्कार शुरू हो गया है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है। व्यापारिक संगठनों ने तुर्की से आयात किए जा रहे उत्पादों की लिस्ट तैयार करके जनता से उनका बहिष्कार करने की अपील की है।
घटती टूरिज्म डिमांड: तुर्की-अजरबैजान ट्रिप कैंसिल
Boycott Turkey: भारत में टूर एंड ट्रैवल कंपनियों ने बताया है कि तुर्की और अजरबैजान की यात्राओं को लोग अब बड़े पैमाने पर कैंसिल कर रहे हैं। वीजा प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म ‘एटलिस’ के अनुसार, इन दोनों देशों के वीजा एप्लीकेशन्स में 42% तक की गिरावट आई है। सिर्फ इतना ही नहीं, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के 36 घंटे के भीतर वीजा प्रॉसेस को अधूरा छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में भी 60% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
नागरिक उड्डयन क्षेत्र में तुर्की को बड़ा झटका
15 मई को ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) ने तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवा प्रदाता कंपनी ‘सेलेबी’ की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। इसके चलते नौ हवाई अड्डों पर सेलेबी के साथ काम करने वाली एजेंसियों ने तुर्की कंपनी से अपने रिश्ते तोड़ने शुरू कर दिए हैं।
वहीं, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से इंडिगो और टर्किश एयरलाइंस के बीच 2023 में हुए लीजिंग समझौते पर पुनर्विचार करने की मांग की है। इस समझौते के तहत टर्किश एयरलाइंस ने इंडिगो को दो एयरक्राफ्ट पायलट और क्रू मेंबर सहित दिए थे, जो दिल्ली और मुंबई से इस्तांबुल रूट पर उड़ान भर रहे हैं।
Boycott Turkey: व्यापारिक संगठन और राज्य सरकारें भी हुए सक्रिय
देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर संस्था ‘अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक संघ’ ने टर्किश उत्पादों के बहिष्कार की आधिकारिक अपील की है। इस संगठन के अंतर्गत 4.5 लाख डिस्ट्रीब्यूटर्स कार्यरत हैं, जिससे यह मुहिम जमीनी स्तर पर भी प्रभावशाली साबित हो रही है।
मध्य प्रदेश सरकार ने भी इस मामले में बड़ा कदम उठाया है। भोपाल और इंदौर मेट्रो परियोजनाओं में कार्यरत एक तुर्की फर्म की जांच के आदेश दिए गए हैं। राज्य सरकार इस बात की पड़ताल कर रही है कि कहीं इन प्रोजेक्ट्स में तुर्की फर्म को लाभ देकर भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के साथ समझौता तो नहीं किया गया।
निष्कर्ष: भावनाओं से बढ़कर है यह रणनीतिक कदम
Boycott Turkey: भारत में ‘बायकॉट तुर्किए’ की लहर केवल एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक संकेत है कि अब भारत अपनी विदेश नीति और व्यापारिक रिश्तों को राष्ट्रीय हितों के आधार पर पुनर्परिभाषित कर रहा है। तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों को यह स्पष्ट संदेश मिल चुका है कि भारत की एकता, संप्रभुता और सैन्य प्रतिष्ठा के खिलाफ खड़े होने की कीमत चुकानी पड़ेगी।