Body dysmorphic disorder: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बॉडी डिस्मॉर्फिया एक ऐसी बीमारी हैं जिसका सही और सटीक कारण जान पाना मुश्किल है। लेकिन कुछ ऐसे कारण हैं, जिन्हे इस बीमारी के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
करण बॉलीवुड के उन डायरेक्टर्स में से एक है जिन्होनें बॉलीवुड को आज इस मुकाम पर पहुंचाया है। 52 साल के फिल्ममेकर करण जौहर बॉडी डिस्मॉर्फिया डिसऑर्डर का शिकार हैं। हाल ही में मीडिया में एक साक्षात्कार के दौरान उन्होनें बताया की वो 8 साल से इसकी चपेट में है। वो पानी फिजीक को लेकर कम्फर्टेबले नहीं रहते हैं। हालत ऐसे हैं कि इससे निपटने के लिए उन्हें मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनल की मदद लेनी पड़ती है।
करण ने बताया कि उन्हेंबॉडी डिस्मॉर्फिया है। वो पूल में जाने के बाद काफी ज्यादा अनकम्फर्टेबल मह्सूस करने लगते हैं। इसकी वजह से बचपन से ही उन्हीं पैनिक अटैक भी आते थे। वो सालों के बाद भी अपनी बॉडी को लेकर कम्फर्टेबल फील नहीं कर पाए। इस वजह से वो हमेशा ओवरसाइज्ड कपड़े ही पहनते हैं।
करण जौहर की इस बीमारी के सामने आने के बाद सवाल ये है कि आखिर बॉडी डिस्मॉर्फिया डिसऑर्डर होता क्या है, जिससे इतना सक्सेसफुल इंसान, जिसके पास इतना पैसा है वो नहीं उभर पा रहा है।
बॉडी डिस्मॉर्फिया क्या बीमारी है?
बॉडी डिस्मॉर्फिया (Body Dysmorphic) को बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (BDD) भी भी कहा जाता है। ये एक मेंटल डिसऑर्डर है, जो आपको अपनी मौजूदगी पर सवाल उठाने पर मजबृर कर देती है। इस डिसऑर्डर में इंसान को ये फी होने लगता है कि उसकी बॉडी के कुछ पार्ट्स में दिक्कत है। लेकिन, उसकी ये बीमारी दूसरों के दिखाई दे ये जरूरी नहीं है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले व्यक्ति को साइकोलॉजिकल दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इससे उसकी डेली लाइफ प्रभावित होने की संभावनाएं रहती हैं। अगर ये डिसऑर्डर बचपन में ही थेरेपी और डॉक्टर्स की सलाह से खत्म नहीं कराया जाए तो फिर ये आपका ताउम्र पीछा नहीं छोड़ती है।
इस बीमारी के होने के कारण क्या है?
अगर एक्सपर्ट्स के मानें तो इस बीमारी के होने का एकदम साक्षी और सटीक करण पता लगभग नामुमकिन है। लेकिन कुछ वजहें हैं, जो इस बीमारी के होने ले लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। ये बीमारी उन लोगों को जल्दी पकड़ती है जिनकी मेन्टल हेल्थ कमजोर हैं साफ भाषा में कहे तो वो लोग जो डिप्रेशन, स्ट्रेस जैसी चीजों से झूझ रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट्स इसके लिए जेनेटिक्स को भी जिम्मेदार मानते हैं। उनका मानना है कि बचपन की कुछ ऐसी घटनाएं भी इस डिसऑर्डर का कारण बन सकती हैं, खासकर जिससे इमोशन को धक्का लगा हो। इसके अलावा लो सेल्फ स्टीम, पैरेंट्स से बार-बार आलोचना, लोगों से बॉडी और लुक्स पर नकारात्मक कमैंट्स इस डिसऑर्डर को जन्म दे सकते हैं।
इस बीमारी के लक्षण क्या है?
- इंसान का बिहैवियर रिपिटेटिव हो सकता है।
- बार-बार शीशा देखना, स्किन नोचना, बॉडी की कमियों को छिपाने के तरीके ढूंढ़ना।
- दूसरों के कहने पर कि आप ठीक दिख रहे हैं, तब भी विश्वास न कर पाना।
- शरीर के किसी अंग को बार-बार छूना या देखते रहना।
- सेल्फ कॉन्शियस हो जाना और पब्लिकली लोगों से मिलना का मन ना करना।
- दूसरों के साथ ज्यादा देर तक रहने पर परेशान होना।
- इस कंडीशन में सुधार के लिए प्लास्टिक सर्जरी या दूसरे कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट करवाना फिर भी संतुष्ट ना होना।
- अपने अंगों की तुलना किसी दूसरे से करना। ये सोचना कि उनकी खामिया या तो बहुत ज्यादा है या बिलकुल ही नहीं है।